ड्राइविंग लाइसेंस देने पर कानून में बदलाव की जरूरत है या नहीं, समिति ने दाखिल की रिपोर्ट 

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Published By Vikas Babu
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नई दिल्ली। केंद्र ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि सरकार द्वारा नियुक्त एक समिति ने उस कानूनी सवाल की जांच के बाद एक मसौदा रिपोर्ट प्रस्तुत की है कि क्या हल्के मोटर वाहन के लिए ड्राइविंग लाइसेंस रखने वाला व्यक्ति भी कानूनी तौर पर बिना भार वाले 7500 किलोग्राम तक का परिवहन वाहन चलाने का हकदार है। 

प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने इस मुद्दे को सुलझाने के लिए केंद्र को 15 अप्रैल तक का समय दिया और कहा कि यदि मामला अनसुलझा रहता है तो वह याचिकाओं पर सुनवाई करेगी और फैसला सुनाएगी। पीठ ने कहा, “दरअसल, यह आधा सुना हुआ मामला है। हमने इसे काफी हद तक सुना है... हम आपको (सरकार को) मामले को सुलझाने के लिए समय देंगे। 

अगर इसका समाधान नहीं हुआ तो हम मामले की सुनवाई करेंगे और कानून बनाएंगे।” पीठ में न्यायमूर्ति ऋषिकेष रॉय, न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा, न्यायमूर्ति पंकज मिथल और न्यायमूर्ति मनोज सिन्हा भी शामिल हैं। न्यायालय ने कहा, “अंततः, अगर संसद हस्तक्षेप करना चाहती है, तो वह हमेशा ऐसा कर सकती है...।” 

पीठ ने रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के लिए फरवरी के मध्य तक का समय दिया और सरकार से वादी पक्षों को इसकी प्रतियां उपलब्ध कराने को कहा। इसमें कहा गया है कि याचिकाओं को अब 16 अप्रैल को निर्देश पारित करने के लिए रखा जाएगा और सुनवाई 23 अप्रैल से शुरू होगी। शीर्ष अदालत ने कहा, “अटॉर्नी जनरल का कहना है कि सरकार द्वारा नियुक्त समिति की मसौदा रिपोर्ट प्राप्त हो गई है। 

वह इसकी जांच के लिए समय देने का अनुरोध करेंगे। कार्यवाही अब 16 अप्रैल को निर्देशों के लिए सूचीबद्ध की जाएगी और समझा जाता है कि यदि उस दिन भारत संघ द्वारा मुद्दे का समाधान नहीं किया जाता है, तो कार्यवाही 23 अप्रैल 2024 को सुनवाई के शेष भाग के समापन के लिए सूचीबद्ध की जाएगी।” 

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