बरेली: पैरों में छाले, पुलिस का डर फिर भी नहीं पीछे हटे थे रामभक्त, विवादित ढांचा ढहा कर लिया दम

Amrit Vichar Network
Published By Ashpreet
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काम तमाम जय श्री राम , विवादित ढ़ाचा ढहाने के बाद बोले थे कार सेवकों से पीएसी के जवान

विकास यादव/ बरेली, अमृत विचार। सालों की तपस्या के बाद रामभक्तों के राम मंदिर का सपना साकार हो गया। इस सपने को देखने से पहले कितनी आंखें मुंद गई। और कई उम्र के आखरी पढ़ाव पर हैं। उन्हें यह सब एक सपने का सच होने के समान नजर आ रहा है। जिस समय कारसेवकों ने मन में ठाना था कि अयोध्या में विवादित ढाचा ढाना है। उस समय बगैर कोई प्रसार-प्रचार  के उत्तर प्रदेश ही नहीं राजिस्थान हरियाण से लाखों की सख्या में कारसेवक अयोध्या पहुंच गए थे।

उन्हें अयोध्या से पहले नानपारा में ट्रेन से उतार दिया गया। उसके बाद सभी ने पैदल सफर तय किया और उनका ठिकाना रात को गांव और जंगल होता था। उसमें भी दूसरे गांव की आवादी से जान का खतरा बना रहता था। लेकिन हौसले बुलंद थे। इस घटना के साक्षी रहे 76 वर्षीय किला के रहने वाले नंद किशोर गुप्ता ने अपनी लड़खड़ाती जुबान से बताया कि नानपार से पैदल ही अयोध्या के लिए उनकी टोली निकल गई। रास्तें में जैतीपुर के जंगलों के पास मंदिर  में उनके खाने की व्यवस्था होना थी।

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लेकिन ऐसा नहीं हो पाया तो गांव वालों ने उन्हें सब्जी, आटा आदि की व्यवस्था की थी। सब्जी बनाते समय उनके पैर जल गए जबकि रात को ही वहां से निकलना था। उसके बाद वह 20 किलो मीटर तक जले पैर से पंजों के सहारे चले और एक गांव में अलाव ताप रहे लोगों ने उनका उपचार किया। उसके बाद वह राम का नाम लेकर अपने जख्मी पैर के साथ निकल गए। उसके बाद सरयू नदी तक पहुंचे  तो पुलिस ने उन्हें और उनके साथियों को गिरफ्तार कर लिया। सभी को गोड़ा पुलिस लाइन भेज दिया गया। वहां से सभी भाग कर फिर अयोध्या के लिए कूच कर गए।

12 लोगों की क्षमता वाली नाव में बैठे 20, राम नाम लेकर नदी हुई पार
कार सेवकों को अयोध्या जाने से पहले पुलिस रोक रही थी। सभी गोड़ा जेल से भागने के बाद किस रास्ते से जाए इस बात को लेकर कार सेवकों ने फैसला किया कि क्यों न वह लोग नाव पर सवार होकर जाए। इस दौरान नाव कम होने से एक एक नाव पर 20-20 कार सेवक सवार थे।

जबकि नाव की क्षमता 12 लोगों को ले जाने की थी। लेकिन सभी प्रभु श्रीराम का नाम लेकर निकल पड़े और बगैर हिले नाव में बैठे रहे। इस दौरान जब लेहरों में नाव डोलती थी तो सभी को राम ही याद आते थे। फिलहाल सभी दो नंवबर को अयोध्या पहुंचे। वहां का नजारा बहुत ही भयावह था। कार सेवकों पर गोलियां बरसाई जा रही थी।

पीएसी ने भी खेच लिए थे अपने कदम पीछे
जिस दिन राम भक्त अयोध्या में विवादित ढांचे को ढहा रहे थे। लाखों की सख्या में हरियाणा, पंजाब, राजिस्थान और उत्तर प्रदेश के राम भक्त मौजूद थे। उनके हौसले देख कर पीएसी ने अपने कदम पीछे खेच लिए और तमाशवीन बनी रही। उसके बाद कार सेवकों ने विवादित ढांचे को ढहा दिया। जय श्री राम के उदद्योष से पूरी अयोध्या गूंज उठी। तब वहां मौजूद पीएसी के जवानों ने राम  भक्तो को अपने गले लगा लिया और कहा ताम कमाम जय श्री राम।  

जंगलों में गुजारे दिन,  रात को निकलते थे पुलिस से बचते बचाते 
कारसेवकों को अयोध्या जाने से रोका जा रहा था। जिस कारण उन्होंने जंगलो के रास्ते चुने और भगवान श्री राम का नाम लेकर रात को सफर तय करते थे। दिन में जंगलो की झांड़ियों व पेड़ो पर छुपकर अपना समय गुजारते थे।

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