प्रयागराज: प्राण प्रतिष्ठा के दिन दीयों से जगमग होगी महाकवि तुलसीदास जी की ससुराल, रत्नावली मंदिर में होगा पूजा पाठ
प्रयागराज। श्रीरामचरित मानस की रचना करने वाले तुलसीदास के ससुराल में भी जश्न का माहौल है। कौशांबी स्थित महेवा घाट के पास उनके ससुराल में राल लला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले भजन कीर्तन के साथ पूरे गांव को दीपों से जगमगाने की तैयारी शुरु कर दी गयी है।
चित्रकूट जनपद के राजापुर में जन्मे गोस्वामी तुलसीदास की शादी कौशांबी के महेवाघाट की रहने वाली रत्नावली के साथ हुई थी। रामचरित मानस की रचना करने वाले तुलसीदास ने राम चरित मानस को देश विदेश में ख्याति दिलाई। पांच सौ साल पहले एक टूटी तिरपाल के छप्पर में रहने वाले प्रभु श्री राम को आज उनकी अयोध्या में मंदिर निर्माण के बाद जहां अयोध्या में खुशी की घूम है, वहीं तुलसीदास का ससुराल भी आज खुशी से फूला नहीं समा रहा है।

यह वही गांव है, जहां रामचरित मानस के रचयिता तुलसीदास जी की ससुराल थी। अयोध्या में जब रामलला के अपने दिव्य व भव्य घर में विराजने को लेकर गांव में खास जश्न मनाने की तैयारी की जा रही है। इस गांव के मंदिर-मंदिर और घर-घर दीप जलाने की तैयारी शुरु हो चुकी है। गांव में कीर्तन व भजन गूंजने लगे है। उनकी पत्नी रत्नावली कौशांबी के महेवाघाट की रहने वाली थीं। हालांकि, रत्नावली के घर और उनके वंश का भले ही नामोनिशां अब नहीं है, लेकिन इस गांव के लोगों के मन में उनके प्रति श्रद्धाभाव और प्रेम आज भी बरकरार है।
पत्नी के कटुवचन सुनने के बाद कर दिया था त्याग
पूर्वजों के अनुसार यह वही गांव है जहां पर तेज बारिश और आंधी में भी पत्नी के प्रेम में तुलसी दास आपने ससुराल पहुंच गये थे। उस दौरान पत्नी के कटुवचन सुनने के बाद तुलसीदास अपनी पत्नी को त्याग कर वापस लौट आये थे और श्रीराम की भक्ति में डूब गए थे। बाद में उन्होंने श्रीरामचरित मानस की रचना की। जिसके बाद से भगवान श्रीराम और तुलसीदास के जीवन से महेवाघाट का नाता जुड़ गया।
काफी समय से अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर में श्री राम के विराजमान होने का इंतजार में यह गांव तरस रहा था। जिसके बाद अब जब यह ऐतिहासिक समय देखने को मिल रहा है। गांव में खुशियां मनाने में महेवाघाट भी तैयारी में जुटा हुआ है। गांव में कोई सुंदरकांड तो कोई रामचरित मानस का पाठ कराने की तैयारी में है। कोई मंदिर-मंदिर और घर-घर दीपोत्सव मनाने की बात कह रहा है।
रत्नावली के नाम पर बना है रत्नावली मंदिर
महेवा घाट में रत्नावली के नाम से एक मंदिर भी बनाया गया है। यह मंदिर रत्नावली कुटीर मंदिर है। इसके पुजारी प्रहलाद पाठक बताते हैं कि मंदिर जिस स्थान पर है वहीं रत्नावली का मायका और निवास था। खुदाई के समय यहां गणेश जी को गोद में लिए हुए देवी पार्वती की अनोखी मूर्ति मिली थी। इसके साथ चार अन्य देवियों की खंडित प्रतिमाएं मिली थीं। करीब पांच दशक पहले वृंदावन के महंत रामदास ने इस मंदिर का निर्माण कराया था। इस मंदिर में श्रीराम दरबार, भगवान शंकर, गणेश जी, गांव की कुल देवी के साथ रत्नावली, उनके पिता दीनबंधु पाठक और मां पार्वती देवी की प्रतिमा भी स्थापित है।

लंबे इंतजार के बाद मेरे प्रभु तंबू से निकल कर महल में जा रहे हैं। इस ऐतिहासिक दिन पर रत्नावली जन्म कुटीर में 21 जनवरी को रामायण का पाठ शुरू होगा। 22 जनवरी को इसके समापन के बाद दीपोत्सव मनाया जाएगा।
प्रहलाद पाठक, पुजारी, रत्नावली जन्म कुटीर
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