हल्द्वानी: 2 कोच के भरोसे जिले के खिलाड़ी देख रहे पदक जीतने का सपना
हल्द्वानी, अमृत विचार। राज्य में होने वाले 38वें राष्ट्रीय खेलों को लेकर युवाओं में काफी उत्साह है, लेकिन उन्हें तैयारी कराने वाले प्रशिक्षकों की बेहद कमी है। जिले में राष्ट्रीय खेल की तैयारी करा रहे प्रशिक्षकों में से ज्यादातर अस्थाई तौर पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
हल्द्वानी में 20 प्रशिक्षकों में सिर्फ 2 स्थाई व अन्य सभी अस्थाई हैं। इसी तरह कालाढूंगी में 2, रामनगर व नैनीताल में 3-3 कोच हैं, लेकिन सभी अस्थाई हैं।
इधर, राष्ट्रीय खेलों में कई प्रतियोगिताएं होनी हैं, लेकिन इसमें अधिकत्तर के कोच ही उपलब्ध नहीं हैं। कालाढूंगी में किलाड़ियों को खो-खो व कबड्डी के दांव-पेंच सीखाने के लिए एक-एक कोच हैं, पर बाकी खेलों में दिलचस्पी रखने वाले बच्चों को अपने भरोसे ही मैदान में उतरना होगा।
इसी तरह, रामनगर में युवाओं को फुटबॉल, किक्रेट व बाक्सिंग का गुरु मंत्र मिलेगा, लेकिन अन्य खेलों में प्रशिक्षण की कोई सुविधा नहीं है। नैनीताल में भी हॉकी, फुटबाल व किक्रेट के कोच ही हैं।
10 महीने ही सेवा देते हैं अस्थाई कोच
जिले में कुल 28 कोच में से 26 अस्थाई हैं। इनकी सेवाएं दस महीने के लिए ली जाती हैं। साल में 15 अप्रैल से 15 फरवरी तक युवाओं को खेल के गुर सीखाने वाले ये कोच 2 महीने बेरोजगार रहते हैं।
ग्रामीण युवाओं भी कोचिंग से वंचित
जिले के ग्रामीण क्षेत्र के युवा भी राष्ट्रीय खेलों में पदक जीतने के सपने देखते होंगे, लेकिन उनके लिए प्रशिक्षण की कोई ठोस व्यवस्था नहीं है। युवा कल्याण विभाग पर उन्हें शारीरिक गतिविधियों, खेल आदि में प्रशिक्षण देने की जिम्मेदारी है, लेकिन शहरी क्षेत्र में प्रशिक्षकों की कमी को देखते हुए वहां की स्थिति भली-भांति समझी जा सकती है।
प्रशिक्षकों के लिए विज्ञप्ति निकाली गई है। जल्द अन्य प्रशिक्षकों की भर्ती की जाएगी।
- रशिका सिद्दीकी, सहायक खेल निदेशक
