गोंडा: 14 लाख से बन रहा पंचायत भवन 14 साल बाद भी अधूरा
गांव के विकास में बाधक है बदहाल पड़ा पंचायत भवन
बालपुर/गोंडा। ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की राह आसान करने के लिए सरकार ने सभी ग्राम पंचायतों में पंचायत भवन बनाकर उसमे संबंधित अधिकारियों को बैठ कर गांव के लोगों की समस्याओं के निस्तारण करने की व्यवस्था की थी। जिससे गांव लोगों को कागजी काम जैसे आय प्रमाण पत्र , निवास प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, मृत्यु प्रमाण पत्र , प्रधानमंत्री आवास व पेंशन जैसे काम उनके गांव में ही आसानी से हो सके और इसके लिए उन्हें सरकारी दफ्तरों का चक्कर न लगाना पड़े। इसके लिए सरकार ने पंचायत स्तर पर कई पदों पर भर्ती भी की थी।
सरकार के तमाम कोशिशों के बाद भी यह सब जमीन पर न उतर कर सिर्फ कागजों तक सिमट कर रह गया है। अफसरों की लापरवाही ने सरकार की मंशा पर पानी फेर दिया। हलधरमऊ ब्लाक के बालपुर हजारी में अधूरे पड़े पंचायत भवन की हालत देखकर तो यही लगता है कि अफसर सरकार की मंशा पर खरे नहीं उतर रहे। ग्राम पंचायत बालपुर हजारी में 14 लाख रुपये की लागत से बनाया जाने वाला पंचायत भवन 14 साल बाद भी अधूरा है। भवन निर्माण करने वाली संस्था काम छोड़कर भाग गयी है और अफसर भी इसे भुला बैठे हैं। सरकार का लाखों रुपया खर्च होने के बाद भी ग्रामीणों को उसका लाभ नहीं मिल सका है।
हलधरमऊ ब्लाक के ग्राम पंचायत बालपुर हजारी में वर्ष 2009 में पंचायत भवन निर्माण की स्वीकृति मिली थी। इसके लिए 14 लाख रुपये का बजट स्वीकृत किया गया था। पंचायत भवन निर्माण की जिम्मेदारी कार्यदायी संस्था पैक्स फेड को दी गयी थी। ग्रामीणों को उम्मीद थी कि पंचायत भवन बनने के बाद गांव के विकास से जुड़े अफसर उनके गांव में बैठेंगे। उन्हे सरकारी योजनाओं की जानकारी के साथ उसका लाभ मिलेगा। आय प्रमाण पत्र , निवास प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, मृत्यु प्रमाण पत्र, प्रधानमंत्री आवास व पेंशन जैसे कार्यों के लिए उन्हे दौड़ भाग नहीं करनी पड़ेगी लेकिन अफसरों की लापरवाही ने उनकी इस मंशा पर पानी फेर दिया। कार्यदायी संस्था ने पंचायत भवन की दीवार तो खड़ी कर दी लेकिन भवन का छत नहीं लगाया।
बिना छत डाले ही भवन का काम अधूरा छोड़
कर कार्यदायी संस्था भाग गयी। तबसे 14 वर्ष बीत चुके हैं लेकिन इस भवन का निर्माण अधूरा पड़ा है। यहां के ग्रामीणों का कहना है कि 14 वर्ष बाद तो भगवान राम भी वनवास से लौट आए थे लेकिन यहां तो कोई पुरसाहाल ही नहीं है। ग्रामीणों का आरोप है कि निर्माण रुकने के बाद कोई भी जिम्मेदार अधिकारी यहां झांकने तक नहीं आया।
इसी ब्लाक के नकहा बसंत गांव में भी पंचायत भवन निर्माण अधूरा है। वर्ष 2022 में यहां 14 लााख रुपये की लागत से भवन निर्माण की स्वीकृति मिली थी। यह भवन भी दो साल से अधूरा पड़ा है। सरकारी धन की बर्बादी का इससे बड़ा उदाहरण और कहीं नहीं मिल सकता। पंचायत भवन न होने गांव के लोगों को योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है।
मामला जानकारी नहीं था। इस समय संकल्प यात्रा की वजह से व्यस्तता ज्यादा रहती है। जल्द ही जांच कराकर व्यवस्था कराई जाएगी और निर्माण कार्य को पूरा कराया जाएगा।
-जय प्रकाश सिंह, प्रभारी बीडीओ-हलधरमऊ
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