रायबरेली: रीवां गांव गुलाब की खेती से है मशहूर, खुशबू फैल रही दूर-दूर, रोजमैन रामपाल ने 1969 में शुरु की थी खेती
आशीष दीक्षित/ अंगद राही, रायबरेली, अमृत विचार। शिवगढ़ का रीवां गांव देश प्रदेश में गुलाब की खुशबू और उसकी सैकड़ों किस्म के लिए मशहूर है। रीवां के गलाब देश प्रदेश में लोगों के शादी, समारोह, हवन-पूजन में अपनी खुशबू बिखेर रहे हैं। गुलाब की खेती का श्रेय गांव के दिवंगत रामपाल को जाता है। जिनको जिले के साथ प्रदेश में रोजमैन के नाम से जाना जाता था। अब पिता की विरासत को उनका छोटा बेटा शिवनरायन संभाल रहा है।
गौरतलब है कि क्षेत्र में रोजमैन के नाम से मशहूर रामपाल का बीती 17 मई 2023 को निधन हो गया था। रामपाल अक्सर रेडियो चैनलों और टीवी चैनलों पर आयोजित होने वाली कृषि चौपालों के माध्यम से किसानों को जागरूक किया करते थे। महेज कक्षा 5 तक की पढ़ाई करने वाले प्रगतिशील कृषक रामपाल ने सन 1969 में राजधानी दिल्ली में लीज पर जमीन लेकर गुलाब की खेती की शुरुआत की थी।
अब पिता के निधन के बाद बेटा शिव नरायन गुलाब की बगिया के साथ पिता के अधूरे सपने को पूरा कर रहा है। बताते हैं कि गुलाब की फुलवारी में साढ़े 4 बीघे जमीन में लुसियाना, जोनफ कनेड़ी, गार्डन पार्टी, फर्स्ट प्राइज, अमेरिकन हेरिटेज, क्रिश्चियन बेर, पिंक परफेक्ट, मिस्टर लिंकन, पूसा अरेन, पूसा मुस्कान, पूजा अजय,गोलेट, परफेक्ट एशियादिल्ली, प्रिन्सिस, बंजारन, करिश्मा, चन्द्रमा, चित्तचोर, दीपिका, कविता, जन्तार्मंतर, सदाबहार, लहर, सूर्यकिरण, समर, बहिश्त, आइसबर्ग, शबनम, फ्लोरीबंडा सहित 350 से अधिक किस्मों की गुलाब की किस्में खिल रही हैं।
शिवनारायन ने पिता की तरह ही खेत में लाल, पिंक, सफेद, पीला, नारंगी, मखमली, काला सहित करीब एक दर्जन रंग वाले गुलाब के फूलों की खेती कर रखी हैं। शिवनरायन ने बताया कि इससे पहले उनके पिता रामपाल राजधानी दिल्ली में लीच पर खेती लेकर गुलाब की खेती करते थे।
इस तरह होती है हाइब्रिड ग्राफ्टिंग
शिव नारायण ने बताया कि वे देशी गुलाब की टहनियों को लगाकर उन पर हाइब्रिड, चलानी गुलाबों की आंख लगाकर ग्राफ्टिंग करके गुलाब के विभिन्न प्रजातियों के हाइब्रिड किस्म के पौधे तैयार करते हैं। तैयार किए गए पौधों को अपने खेत में लगाने के साथ ही दिल्ली, बैंगलोर, नोएडा सहित शहरों को पौधे और गुलाब के फूलों को भेजते हैं। जिनका मानना है कि देशी गुलाब की खेती करने में लाभ नहीं है देशी गुलाब के फूल की बिक्री किलो के हिसाब से होती है और हाइब्रिड एवं चलानी गुलाबों की बिक्री प्रति पीस के हिसाब से होती हैं। इसीलिए उन्होंने 350 से अधिक हाइब्रिड गुलाबों की किस्में लगा रखी है, जिससे उन्हें अच्छा लाभ मिला रहा है।
रोजमैन के नाम से जाते थे रामपाल
रामपाल क्षेत्र में रोजमैन के नाम से जाने जाते थे, जिन्हें कृषक प्रेरणा स्रोत मानते थे। वे गुलाब के पौधों की पत्तियों को देखकर उसमें लगने वाले फूलों का रंग बता देते थे। देशी गुलाब की टहनियों को लगाकर उन पर विभिन्न रंगों के हाइब्रिड,चलानी गुलाबों की आंख फिट करके शत- प्रतिशत हाइब्रिड पौधे तैयार करने की उनकी जो अद्भुत कला थी, उसके सभी कायल थे। गुलाब की खेती में रामपाल को ग्राफ्टिंग का जादूगर माना जाता था।
खेत में चलती है नि:शुल्क पाठशाला
दिवंगत रामपाल खेत में साल के बारह माह गुलाब की खेती की नि:शुल्क पाठशाला चलाते थे जिसे आज भी चलाया जा रहा है। इस पाठशाला में गुलाब की तकनीकी खेती की जानकारी किसानों को दी जाती है। साथ ही हाईब्रिड फूलों के पौधों की मदद भी की जाती है। इसकी नतीजा है कि शिवगढ़ क्षेत्र में गुलाब की खेती को काफी बढ़ावा मिला है।
पिता से सीखा ग्राफ्टिंग का जादू
पिता की विरासत संभाल रहे शिवनरायन ने बताया कि वर्ष 2012 में उन्होंने गुलाब की खेती में पिता का हाथ बटाना शुरु किया था। उनके पिता ने गुलाब की तकनीकी खेती से जुड़ी छोटी से छोटी जानकारी उनके साथ साझा करने के साथ ही उन्हें ग्राफ्टिंग का जादू सिखाया, पिता के पद्चिन्हों पर चलकर वे गुलाब की खेती से जीवकोपार्जन करने के साथ अन्य किसानों को भी आर्थिक रूप से मजबूत करने में लगे हैं।
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