Video : हेपेटाइटिस बी के सभी मरीजों को नहीं खानी चाहिए एंटीवायरल दवा, 1500 से अधिक मरीजों पर हुआ शोध
दवा फायदे के बजाय कर सकती है नुकसान, 2 प्रतिशत मरीज बिना दवा के हो जाते हैं ठीक
लखनऊ, अमृत विचार। हेपेटाइटिस-बी एक खतरनाक वायरस है। शरीर में इसका संक्रमण होने से लिवर को नुकसान पहुंचता है। जो बाद में लिवर कैंसर का कारण बनता है और मरीज की मौत हो जाती है। यदि समय रहते मरीज का इलाज शुरू हो जाये तो मरीज स्वस्थ हो सकता है, लेकिन मरीज के इलाज के दौरान डॉक्टर को यह भी ध्यान देना चाहिए कि कौन से मरीज को हेपेटाइटिस बी की एंटीवायरल दवा देनी चाहिए और कौन से मरीज को दवा नहीं देनी चाहिए। बिना जरूरत के दवा देने से मरीजों को गंभीर नुकसान हो सकता है। इस बात का खुलासा किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट डॉ. अजय कुमार पटवा के शोध में हुआ है।
डॉ. अजय कुमार के शोध में यह बात निकलकर सामने आई है कि करीब 70 प्रतिशत मरीजों को एंटीवायरल दवा की जरूरत ही नहीं होती। इतना ही नहीं 2 प्रतिशत मरीज बिना दवा के ही ठीक हो सकते हैं। डॉ. अजय ने साल 2014 से 2019 के बीच यानी पांच साल तक ओपीडी में हेपेटाइटिस बी से संक्रमित मरीजों का डेटा एकत्रित किया और दुनियाभर में हेपेटाइटिस बी के इलाज के लिए जारी गाइडलाइन (100-100 पेज ) का अध्ययन करने के बाद एक एल्गोरिदम बनाया। इस एल्गोरिदम की खास बात यह रही कि कई पेजों की गाइड लाइन को एक चार्ट में बताया गया है। इस चार्ट के जरिये हेपेटाइटिस बी से संक्रमित मरीजों में किस मरीज को एंटीवायरल दवा की जरूरत है, कौन से मरीज को जरूरत नहीं है। इस बात की जानकारी के तरीके बताये गये हैं। डॉ. अजय कुमार का यह शोध जनरल ऑफ क्लिनिकल एंड एक्सपेरिमेंटल हीपेटोलॉजी में भी छप चुका है। डॉ. अजय कुमार को इस शोध के लिए सम्मानित भी किया गया है।
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— amrit vichar (@amritvicharlko) January 1, 2024
डॉ. अजय ने अमृत विचार के साथ हुई बातचीत में बताया है कि हेपेटाइटिस बी से संक्रमित किस मरीज को एंटीवायरल दवा देनी चाहिए और कौन से मरीज को नहीं देनी चाहिए। यह तय करना एक फिजीशियन के लिए काफी कठिन होता है। ऐसे में एक एल्गोरिदम तैयार किया गया है। जिसके जरिये यह पता लगाया जा सकता है किसे दवा देनी है और किस मरीज को नहीं देनी है। इस एल्गोरिदम को केजीहेप्टा नाम दिया गया है।
डॉ. अजय के मुताबिक शोध में यह बात निकलकर आई है कि हेपेटाइटिस बी से संक्रमित मरीजों में से करीब 25- 30 फीसदी मरीजों में एंटीवायरल दवा की जरूरत पड़ती है। इसके अलावा 70 फीसदी मरीजों को एंटीवायरल दवा की जरूरत नहीं पड़ती है। 70 प्रतिशत मरीजों में हेपेटाइटिस बी संक्रमण की पुष्टि होने के बाद चिकित्सक को उनका वायरल लोड चेक करना चाहिए। साथ ही अल्ट्रासाउण्ड जांच और फाइब्रोस्कैन भी कराना चाहिए। जिससे लिवर के डैमेज होने की जानकारी मिल सकती है। उसी के आधार पर मरीज का इलाज करना चाहिए। यह बातें एल्गोरिदम में बताई गईं हैं। इसके अलावा उन्होंने यह भी बताया कि उनके शोध में 2 प्रतिशत मरीज ऐसे भी थे, जिन्हें किसी प्रकार के दवा की जरूरत ही नहीं पड़ी और पांच साल में वह वायरस मुक्त हो गये।
बिना जरूरत दवा देने से होता है गंभीर नुकसान
डॉ. अजय के मुताबिक बिना जरूरत दवा देने से मरीजों को गंभीर नुकसान भी हो सकता है। पहला नुकसान ड्रग रेजिस्टेंस पैदा हो जाता है। इसके अलावा यदि अन्य बीमारी है और मरीज में हेपेटाइटिस का वायरल लोड कम है तो दवा का प्रयोग करने से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। साथ ही दवा महंगी होने के चलते इसका आर्थिक नुकसान भी होता है।
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