पीलीभीत: वासस्थलों का सफाया होने से बाहर निकल रहे बाघ, टाइगर रिजर्व बनने के बाद से 14 पकड़े जा चुके..फिर भी नहीं समाधान
पीलीभीत, अमृत विचार। जिन बाघों की बदौलत पीलीभीत टाइगर रिजर्व ने ग्लोबल अवार्ड जीतकर अंतरराष्ट्रीय पटल पर पहचान बनाई, आज उन्हीं बाघों को जंगलों में इंसानी दखलंदाजी के चलते के अपने आशियाने छोड़कर रिहायशी इलाकों की ओर रुख करना पड़ रहा है। पीटीआर के आंकड़ों के मुताबिक टाइगर रिजर्व घोषित होने के बाद अब तक 13 बाघों को रेस्क्यू किया जा चुका है। मंगलवार को एक और बाघिन के रेस्क्यू किए जाने के बाद यह संख्या बढ़कर 14 हो गई है।
करीब 73 हजार हेक्टेयर में फैले पीलीभीत के जंगल को जून 2014 में टाइगर रिजर्व घोषित किया गया। बेहतर जलवायु और जैव विविधता के कारण बाघों की संख्या में एकाएक तेजी आई। बाघों की संख्या बढ़कर 65 से अधिक हो गई। बाघों की संख्या तो बढ़ती गई, लेकिन जंगल जमीन पर अवैध कब्जों के चलते जंगलों का दायरा सिकुड़ता गया। जिम्मेदारों ने जंगल जमीन पर हो रहे अवैध कब्जों पर कोई ध्यान नहीं दिया। इक्का-दुक्का मामले सुर्खियां बनने पर कार्रवाई के नाम पर खानापूरी कर मामले को टालते गए।
बाघों के वासस्थलों की जगह पर लहलहा रही फसलें
जंगल जमीन पर अवैध कब्जों के चलते जंगलों का दायरा सिकुड़ता जा रहा है। बाघों के वासस्थलों का सफाया कर उस पर खेती करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। पीटीआर के आंकड़ों के मुताबिक मौजूदा समय में पीटीआर की 1200 एकड़ जंगल जमीन पर अवैध कब्जे हैं। यही वजह है कि जहां पहले बाघ और तेंदुए विचरण करते थे, वहां आजकल इंसानी दखल बढता जा रहा है। इसी कारण बाघ जंगल छोड़ रिहायशी इलाकों का रुख कर रहे हैं और मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं में इजाफा हो रहा है। पिछले छह माह को देखे तो जिले में चार इंसानों की मौत बाघ हमले में हो चुकी है। जबकि एक बाघ और बाघिन रेस्क्यू किया जा चुका है।
2014 से अब तक रेस्क्यू किए गए बाघ
- 02 मार्च 2014-पूरनपुर में गढ़वाखेड़ा पुल से
- 23 नवंबर 2016- महोफ रेंज के पास गांव मल्लपुर से
- 11 फरवरी 2017- माला रेंज के पास गांव सुखदासपुर से
- 05 फरवरी 2018- माला रेंज के समीप गांव विधिपुर से
- 05 मार्च 2018- बराही रेंज के पास गांव चांदूपुर से
- 11 मई 2019- पीलीभीत रेंज के पास गांव खजुरिया पचपेड़ा से
- 03 अप्रैल 2020- माला रेंज के बाहर माधोटांडा रोड से
- 09 जून 2020- माला रेंज की वन सीमा से बाहर
- 23 जनवरी 2021- पूरनपुर में गांव ककरौआ से
- 13 मार्च 2021- सदर तहसील के गांव हरचुईया से
- 08 दिसंबर 2022- पूरनपुर के उदयकरनपुर में खारजा नहर के समीप से
- 12 मार्च 2023- गांव केशोपुर से
- 17 अक्टूबर 2023- कलीनगर तहसील के गांव जमुनियां से
- 26 दिसंबर 2023- कलीनगर तहसील के गांव अटकोना
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