प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना भारत की सभ्यता और पारंपरिक शिल्पकला का उचित मेल है: डॉ. जितेन्द्र सिंह

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Published By Sachin Sharma
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश डिजाइन एवं शोध संस्थान, लखनऊ द्वारा एक जनपद एक उत्पाद एवं विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना 2023-24 के तहत 10 दिवसीय प्रशिक्षण के समापन एवं सर्टिफिकेट वितरण कार्यक्रम को संबोधित करते हुये केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान और प्रौद्योगिकी; प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ जितेन्द्र सिंह ने कहा कि पीएम विश्वकर्मा' योजना भारत की सभ्यता और पारंपरिक शिल्प कौशल का उचित मेल है।

उन्होंने कहा कि यह योजना आजीविका अर्जित करने का विकल्प प्रदान करती है, साथ ही साथ भारत की सदियों पुरानी गुरु-शिष्य परंपरा को संजोए रखती है। डॉ. जितेन्द्र सिंह ने उपस्थित कारीगरों व शिल्पियो को सम्बोधित करते हुए कहा कि पिछली सरकारों ने कभी भी कारीगर समाज की तरफ ध्यान नहीं दिया और न ही उनके उत्थान के लिए कोई कार्य किया। उन्होंने कहा कि 2014 में जब मोदी जी देश के प्रधानमंत्री बने तब से लेकर आज तक उन्होंने कारीगरों व शिल्पियो के लिए अनगिनत स्कीम लागू की है, जिससे परम्परागत उद्योग को बढ़ावा तो मिला है।

डा. सिंह ने कहा कि उनके उत्पादों को वैश्विक पहचान एवं बाजार भी मिला है। प्रधानमंत्री मोदी के वोकल फॉर लोकल जैसे नारे ऐसे आत्मनिर्भर भारत की संरचना कर रहे है, जिसका परिणाम आने वाले वर्षों में वैश्विक पटल पर अपनी अलग पहचान छोड़ेगा। उत्तर प्रदेश डिजाइन एवं शोध संस्थान, लखनऊ संस्थान की अध्यक्ष श्रीमती क्षिप्रा शुक्ला तथा निदेशक श्री प्रांजल यादव द्वारा लगभग 1300 लाभार्थियों को सर्टिफिकेट वितरित एवं संस्थान में हस्तशिल्पियों द्वारा लगायी गयी प्रर्दशनी का अवलोकन भी किया गया।

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