पीलीभीत: टाइगर रिजर्व में चेनलिंक फैंसिंग में देरी पर विशेष सचिव गुस्साए, बोले- मुआवजा देने में भी नहीं हो रहा नियमों का पालन
पीलीभीत, अमृत विचार। पीलीभीत टाइगर रिजर्व में धनराशि आवंटित होने के छह माह बाद भी चेन लिंक फैंसिंग न होने पर योजना आयोग के विशेष सचिव ने खासी नाराजगी जताई है। उन्होंने भविष्य में धनराशि आवंटित न होने की चेतावनी भी दी है।
वहीं मानव वन्यजीव संघर्ष के दौरान मृत व्यक्तियों के परिजनों को दिए जाने वाले मुआवजे में पीटीआर प्रक्रिया का पालन नहीं कर रहा है। उन्होंने इस पर भी नाराजगी जताते हुए तहसीलदार और पीटीआर अफसरों को समन्वय स्थापित करते हुए विभागों की ओर से दी जाने वाले धनराशि नियमानुसार देने के निर्देश दिए हैं।
पीलीभीत टाइगर रिजर्व में बाघों के साथ अन्य वन्यजीवों की संख्या में खासी बढ़ोत्तरी हो रही है। बाघों की संख्या बढ़ने और जंगलों का दायरा सिकुड़ने के कारण बाघ रिहायशी इलाकों में तेजी से निकल रहे हैं। यहीं वजह है कि जिले में पिछले कुछ सालों से मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। बाघ समेत अन्य वन्यजीवों के जंगल से बाहर निकलने से रोकने के लिए पूर्व में माला, बराही समेत महोफ रेंज में 40 किलोमीटर में तार फैंसिंग कराई गई थी।
बढ़ते मानव-वन्यजीव संघर्ष को देखते हुए राज्य आपदा न्यूनीकरण निधि से पीलीभीत टाइगर रिजर्व को चेनलिंक फैंसिंग कराने के लिए सात करोड़ रुपये की धनराशि आवंटित की थी। यह धनराशि जून में आवंटित की गई थी। इससे माला, बराही और महोफ रेंज में 25 किलोमीटर क्षेत्र में चेन लिंक फैंसिंग कराई जानी थी, लेकिन टेंडर प्रक्रिया में अनियमितता के चलते मामला कोर्ट में चला गया।
इधर धनराशि आवंटन होने के छह माह बाद भी चेन लिंक फैंसिंग न होने पर योजना आयोग के विशेष सचिव राम केवल ने पीटीआर के अफसरों से खासी नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि तमाम दुविधाओं बीच धनराशि आवंटित की गई, उस पर पीटीआर दी गई धनराशि का उपयोग नहीं कर पा रहा है। उन्होंने पीटीआर को भविष्य में धनराशि न देने की भी चेतावनी दी।
मुआवजे को लेकर भी जताई नाराजगी
उन्होंने मानव-वन्यजीव संघर्ष के दौरान शिकार हुए व्यक्तियों के परिजनों को मुआवजे के तौर पर दी जाने वाली रकम में भी पीटीआर द्वारा प्रक्रिया का पालन न करने पर भी नाराजगी जताई। उन्होंने बताया कि मुआवजे के रूप में मिलने वाले पांच लाख रुपये राजस्व विभाग द्वारा आश्रितों को दिए जाते हैं।
पीटीआर को अपने विभाग की ओर से दिए जाने वाले एक लाख राजस्व विभाग को हस्तांरित करने चाहिए, लेकिन पीटीआर इसका पालन नहीं कर रहा है। राजस्व विभाग ही पूरी धनराशि दे रहा है। इस मामले में विशेष सचिव ने तहसीलदार और पीटीआर अफसरों को आपसी समन्वय स्थापित कर अपने-अपने हिस्से की धनराशि मुआवजे के तौर पर देने के निर्देश दिए हैं।
मुआवजे के रूप में मिलने वाले पांच लाख रुपये में चार लाख रुपये राजस्व विभाग द्वारा दिए जाते हैं। एक लाख रुपया पीटीआर द्वारा दिया जाता है। शासन से बजट आने पर राजस्व विभाग को धनराशि की अदायगी की जाती है। - नवीन खंडेलवाल, डिप्टी डायरेक्टर, पीटीआर
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