Chitrakoot News: ... तो इन गुफाओं में रहा करते थे हमारे पूर्वज, मानिकपुर में मिले शैलाश्रय, संरक्षण की आवश्यकता

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Published By Nitesh Mishra
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चित्रकूट में प्राचीन सभ्यता की निशानियां, अवशेष बिखरे पड़े हैं।

चित्रकूट में प्राचीन सभ्यता की निशानियां, अवशेष बिखरे पड़े हैं। पुरातत्व विभाग अगर पूरी ईमानदारी और जिम्मेदारी से यहां पड़ताल करे तो गौरवशाली इतिहास के साथ साथ मानव सभ्यता के कई महत्वपूर्ण तथ्य और जानकारी सामने आ सकती है।

चित्रकूट, अमृत विचार। चित्रकूट में प्राचीन सभ्यता की निशानियां, अवशेष बिखरे पड़े हैं। पुरातत्व विभाग अगर पूरी ईमानदारी और जिम्मेदारी से यहां पड़ताल करे तो गौरवशाली इतिहास के साथ साथ मानव सभ्यता के कई महत्वपूर्ण तथ्य और जानकारी सामने आ सकती है।

पाठा में पर्वतों के बीच कई ऐसी कंदराएं, गुफाएं हैं, जहां माना जा रहा है कि मानव ने सभ्यता की शुरुआत में निवास किया होगा। विंध्य पर्वत श्रंखलाओं में पत्थरों में उकेरे गए भित्ति चित्र आज भी मौजूद हैं। सभ्यता के अवशेषों की खोज में जंगलों की टोह लेने वाले चित्रकूट ए कल्चरल हेरीटेज के संस्थापक अनुज हनुमत, के साथ प्रो. गिरिराज, आईपीएस विजय कुमार ने कई बातें पता कीं, जो सभ्यता का इतिहास कैसे हुआ, इसकी जानकारी में मददगार साबित हो सकती हैं।

अनुज बताते हैं कि मानिकपुर से लगभग सात किमी दूर रानीपुर टाइगर रिजर्व क्षेत्र में पहाड़ियों में बाणा नामक स्थान के पास कई बड़े शैलाश्रय (कंदरानुमा आकृति) मिली। एक की ऊंचाई तो लगभग 100 फीट थी। इन पर चित्र भी उकेरे गए हैं।

रविवार को मानिकपुर के तहसीलदार वाचस्पति सिंह ने भी सरहट स्थित प्राचीन स्थलों को देखा। उन्होंने भी इन प्राचीन धरोहरों को देख आश्चर्य जताया। इतिहासकार प्रो. देवी प्रसाद दुबे बताते हैं कि चित्रकूट में बड़ी संख्या में प्राचीन इतिहास से जुड़े साक्ष्य मौजूद हैं। इनका संरक्षण बेहद आवश्यक है।

महत्वपूर्ण है जानकारी- डा. पाल

क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी डा. रामनरेश पाल ने कहा कि ऐसा लगता है कि इन प्राचीन शैलाश्रयों के नीचे ही आदिमानव रहते थे। कल्पना करिए कि कैसे इन गुफाओं में रहकर हमारे पूर्वजों ने चरणबद्ध तरीके से विकास किया। उनके बनाए गए चित्र आज भी जीवंत हैं और एक कम्युनिकेशन मॉडल की भांति हैं। अनुज हनुमत और उनकी टीम द्वारा दी गई जानकारी महत्वपूर्ण है। सरहट स्थित खंभेश्वर में मौजूद शैलचित्रों का संरक्षण भी किया जा रहा है। इसके अलावा अन्य महत्वपूर्ण स्थानों का संरक्षण किया जाएगा।

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