हल्द्वानी: Hellooww...दोस्तों जेल की चहारदीवारी में आपका स्वागत है, मैं Rj Naresh फिर आ गया हूुं लेकर आपकी फरमाइश...

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Published By Bhupesh Kanaujia
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सर्वेश तिवारी, हल्द्वानी, अमृत विचार। हैलो दोस्तों मैं आरजे नरेश कश्यप एक बार फिर हाजिर हूं जेल रेडियो के साथ आपके सबके बीच आपके अपने पंसदीदा कार्यक्रम 'हैलो फरमाइश' के साथ। तो आज हमें बैरक नंबर तीन से फरमाइश भेजी है विनोद और साथियों ने और वो सुनना चाहते हैं एक दर्द भरा नगमा 'मेरी किस्तम में तू नहीं...।'

आपको थोड़ा चौंके होंगे कि जेल तो सजा काटने की जगह है और यहां जेल में जेल रेडियो, दर्द और नगमों की बात आखिर क्यों हो रही है। आप ठीक सोच रहे हैं, क्योंकि हल्द्वानी उप कारागार और जेलों से कुछ अलग है। अलग इसलिए कि यहां सजा के साथ कैदियों और बंदियों के मनोरंजन व शिक्षा का पूरा इंतजाम है।

मनोरंजन का जिम्मा वो शख्स उठा है, जो खुद पॉक्सो मामले का दोषी है, लेकिन शिवनगर मणिनाथ बेरली उत्तर प्रदेश निवासी नरेश कश्यप की पहचान अब एक गुनहगार ही नहीं है। बल्कि अब वो जेल रेडिया का आरजे नरेश कश्यप है। जेल में जेल रेडियो का एक अलग स्टूडियो है। जहां बैठ कर नरेश कैदियों और बंदियों की फरमाइश पूरी करते हैं। 

होता ये है कि बैरकों में बंद कैदी या बंदी एक पर्ची में अपनी फरमाइश लिखते हैं। जिसे एक जेल कर्मी जेल रेडियो के स्टूडियो में नरेश तक पहुंचाता है और फिर भेजा गया फरमाइशी गीत पूरे जेल में बजता है। हर रोज दोपहर 2 से 3 बजे तक चलने वाले कार्यक्रम आपकी फरमाइश में रोजाना तकरीबन डेढ़ से 200 फरमाइशें आती हैं, लेकिन इतनी फरमाइशों को तय वक्त में पूरा कर पाना मुश्किल होता है। हर किसी की फरमाइश हर रोज तो पूरी नहीं होती, लेकिन फिर भी जेल में बंद लोग इस घंटे के कार्यक्रम का बेसब्री से इंतजार करते हैं और उम्मीद रखते हैं कि आज तो उनकी पर्ची में लिखा गीत पूरे जेल में गूंजेगा।  

भक्ति गीतों और भजनों से होती है सुबह की शुरुआत
हल्द्वानी : जेल रेडियो का पहला प्रसारण सुबह छह बजे से शुरू हो जाता है। एक घंटे के इस भक्ति माला कार्यकम में सभी धर्मों के गीत, भजन, प्रार्थना और कव्वाली का प्रसारण किया जाता है। यानि बंदियों और कैदियों की सुबह की शुरुआत पूजा-पाठ के साथ होती है और फिर दिन फरमाइशी गीतों को सुनकर गुजर जाता है। 

जेल से निकल बेहतर कल बनाना चाहता है नरेश  
हल्द्वानी : जेल जाने से पहले नरेश जागरण में भजन गाया करते थे, लेकिन एक घटना हुई और वह 10 साल के लिए जेल चले गए। नरेश को सजा काटते 6 साल से अधिक का वक्त गुजर चुका है। जो हुनर उनके पास था उसे उन्होंने जेल में भी बरकरार रखा और जेल रेडियो के आरजे नरेश कश्यप बन गए। नरेश अब जेल के बाहर एक बेहतर कल के सपने बुन रहा है। 

जेल में बहुत ज्यादा है दर्द के मारों की संख्या 
हल्द्वानी : जेल प्रशासन की मानें तो एक घंटे चलने वाले हैलो फरमाइश कार्यक्रम में ज्यादातर फरमाइशें दर्द भरे नगमों की होती है। ये फरमाइशें भेजने वाले भी 25 से 35 और 40 साल की उम्र के कैदी और बंदी हैं। जबकि जो उम्र दराज लोग हैं वो या तो पुराने गीतों की फरमाइश करते हैं या फिर भक्ति गीत और भजनों की। 

जेल रेडियो के जरिये कैदी और बंदियों के तनाव को कम करने की कोशिश की जाती है। इस कोशिश के साथ बंदियों व कैदियों का मनोरंज भी होता है। नरेश को देख कर अन्य कैदी भी सही रास्ते पर चलने की प्रेरणा लेते हैं। कुछ हैं जो नरेश से आरजे बनने की ट्रेनिंग भी ले रहे हैं। 
- प्रमोद पांडेय, जेल अधीक्षक, उप कारागार हल्द्वानी

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