Corona Effect : इस जानलेवा बीमारी की चपेट में आ रहे हैं बच्चे, यूपी में हर साल 20 के करीब पहुंच रहा मौत का आंकड़ा

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Published By Virendra Pandey
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लखनऊ, अमृत विचार। कोरोना वायरस के चलते दुनिया परेशान है, इस वायरस की वजह से कई लोगों की जान जा चुकी है, लेकिन कोरोना की वजह से दूसरी बीमारियों की भयावहता भी बढ़ती जा रही है। ऐसी आशंका विशेषज्ञ जात रहे हैं। एसएसपीई बीमारी की चपेट में भारी तादात में बच्चे आ रहे हैं। इसकी वजह है खसरा का टीकाकरण समय पर न होना। कोरोना के चलते खसरा टीकाकरण की रफ्तार कम हुई है।

डॉ. आरके गर्ग
केजीएमयू के न्यूरोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो.आरके.गर्ग

 

किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में न्यूरोसर्जरी विभाग के एचओडी प्रो.आरके.गर्ग के मुताबिक एक बार सबएक्यूट स्क्लेरोसिंग पैनेंसेफेलाइटिस (एसएसपीई) बीमारी की चपेट में बच्चा आ गया तो उसकी मौत होना तय है। इस बीमारी का असर ब्रेन पर पड़ता है, जो न्यूरोलॉजिकल समस्या पैदा करता है और बाद में ब्रेन क्षतिग्रस्त हो जाता है। जिससे मरीज की मौत हो जाती है। 

प्रो. आरके.गर्ग ने बताया कि कई बार खसरा (मीजल्स ) का वायरस बच्चों के ब्रेन में चला जाता है, जिससे एसएसपीई नाम की बीमारी हो जाती है। एक बार यह बीमारी हो गई तो इसका कोई इलाज नहीं है। मौजूदा इलाज से केवल जिंदगी के कुछ महीने ही बढ़ाये जा सकते हैं। उसके बाद मौत होना तय है। इस बीमारी से बचाव का एक मात्र तरीका खसरा का टीका है। समय पर टीकाकरण होने से यह बीमारी नहीं होती है। एक बार किसी बच्चे को यह बीमारी हुई तो इसका असर कई साल बाद दिखाई पड़ता है। यह समय पांच से 15 साल भी हो सकता है। उन्होंने बताया कि जब से कोरोना वायरस फैला है, तब से खसरा टीकाकरण पर बुरा प्रभाव पड़ा है। इसी को लेकर आज विभाग में एक कार्यशाला का आयोजन भी किया गया। उन्होंने बताया कि विभाग में करीब 20 से 30 मरीज हर साल एसएसपीई से पीड़ित होकर पहुंचते हैं। खासकर गरीब परिवार में जन्म लेने वाले बच्चे इस बीमारी की चपेट में अधिक आते हैं।

बीमारी के लक्षण

एसएसपीई बीमारी के लक्षण कई साल बाद दिखाई पड़ते हैं। प्रो.आरके.गर्ग ने बताया कि इस बीमारी में पहले मंदबुद्धि का लक्षण दिखाई पड़ता है, साथ ही झटके आते हैं। शुरूआत में कम झटके आते हैं, उसके बाद लगातार झटके आने लगते हैं और बाद में ब्रेन क्षतिग्रस्त हो जाता है और बच्चा अथवा वयस्क की मौत हो जाती है।

सीएमई का हुआ आयोजन

केजीएमयू की न्यूरोलॉजी विभाग में आयोजित सीएमई में एसएसपीई बीमारी की रोकथाम के लिए विशेषज्ञों ने अपने विचार रखे। यह बीमारी खसरा संक्रमण के बाद होता है। बताया जा रहा है कि सीडीसी के आंकड़ों की माने तों भारत पिछले 6 महीनों में 14927 मामलों के साथ यमन के बाद दूसरा देश है। COVID-19 महामारी ने 2020-2022 के दौरान खसरा टीकाकरण की स्थगन के कारण खसरे और संभवतः एसएसपीई के जोखिम को भी बढ़ा दिया है। इस अभियान का उद्देश्य सबएक्यूट स्क्लेरोसिंग पैनेंसेफेलाइटिस (एसएसपीई) के जोखिम के बारे में जागरूकता बढ़ाना और इस विनाशकारी स्थिति को रोकने के लिए खसरा के खिलाफ टीकाकरण को प्रोत्साहित करना है। इस अभियान में शैक्षिक पहल, सामुदायिक पहुंच और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के साथ सहयोग के विभिन्न रणनीतियों का उपयोग किया जाएगा ताकि इसके लक्ष्यों को हासिल किया जा सके।

कार्यक्रम में बैंगलोर स्थित NIMHANS न्यूरोलॉजी के डॉ. रवि यादव, अतिथि वक्ता रहे। इस अवसर पर केजीएमयू न्यूरोलॉजी विभाग के प्रो. राजेश वर्मा, एडिशनल प्रो. श्वेता पांडे, डॉ. रवि यादव और डॉ. भास्कर शुक्ला उपस्थित रहे। 

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