Chitrakoot News: पेशवाकालीन इमारत का संरक्षण करेगा पुरातत्व विभाग, क्षेत्रीय अधिकारी ने किया मुआयना, माना यह है धरोहर
चित्रकूट में पेशवाकालीन इमारत का संरक्षण करेगा पुरातत्व विभाग।
चित्रकूट में पेशवाकालीन इमारत का संरक्षण करेगा पुरातत्व विभाग। क्षेत्रीय अधिकारी ने किया मुआयना, माना यह है धरोहर।
चित्रकूट, अमृत विचार। पेशवाकालीन इमारत (पुरानी कोतवाली) का संरक्षण उप्र राज्य पुरातत्व विभाग करेगा। इसकी विभागीय प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। सोमवार को एक महत्वपूर्ण पहल के तहत क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी डा. रामनरेश पाल ने यहां का निरीक्षण किया। उन्होंने बताया कि पुरातत्व विभाग इस ऐतिहासिक स्थल और धरोहर को संरक्षित करेगा।
गौरतलब है कि मुख्यालय में एनएच किनारे का प्राचीन भवन लंबे अरसे से चर्चा के केंद्र में है। इसे पुरानी कोतवाली के नाम से भी जाना जाता है। एक साल के अंदर यहां हुआ घटनाक्रम चर्चित रहा। पहले नगरपालिका प्रशासन ने अंदर रहने वाले परिवारों को अवैध कब्जे की बात कहकर हटाया और फिर इसके अंदर तोड़फोड़ करनी शुरू की।
बुलडोजर चलने की बात से मामला गरमाया और पुणे से आए प्रभाकर नारायण राव पेशवे ने भी दावा किया कि यह इमारत उनकी है और उनके पास इसके स्वामित्व के वैध कागजात हैं। हालांकि नगरपालिका प्रशासन शुरुआत से ही इसे पालिका के स्वामित्व वाला भवन बताता आ रहा है। सोमवार को क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी डा. रामनरेश पाल ने अपनी टीम के साथ यहां का मुआयना किया।
उन्होंने बताया कि टीम ने पेशवाकालीन प्राचीन ऐतिहासिक इमारत को देखा है। उन्होंने बताया कि पुरानी इमारत में नुकसान तो पहुंचाया गया है पर अभी भी अंदर कई भवन हैं, जिनका संरक्षण किया जा सकता है। पूरी रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी। जल्द ही पुरातत्व विभाग इस स्थल को संरक्षित करेगा। इसकी कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
पालिका प्रशासन ने गलत किया- डा. पाल
इमारत परिसर में तोड़फोड़ पर क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी ने नाराजगी जताई। 'अमृत विचार' से बातचीत में उन्होंने माना कि यह प्राचीन इमारत धरोहर है। उन्होंने कहा कि पालिका प्रशासन ने यहां तोड़फोड़ करके ठीक नहीं किया। इसकी सूचना और जानकारी पुरातत्व विभाग को देनी चाहिए थी। उन्होने कहा कि जिम्मेदार अधिकारियों पर क्या कार्रवाई हो, इस संबंध में तो वह कुछ नहीं कह सकते पर इतना जरूर है कि वह इसको लेकर भी सरकार को रिपोर्ट देंगे।
अब बंधी है उम्मीद- अनुज हनुमत
जिले की प्राचीन धरोहरों का पता लगाने और इनके संरक्षण के लिए प्रयासरत युवा पुरातत्वविद् अनुज हनुमत ने इस पहल पर खुशी जताई। पुरातत्व अधिकारी के साथ रहे अनुज ने कहा कि देर से ही सही लेकिन पुरातत्व विभाग इस गंभीर मसले को लेकर हरकत में तो आया। उन्होंने डॉ. रामनरेश पाल और उनकी टीम को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह स्थल 1857 की क्रांति से लेकर अन्य कई महत्वपूर्ण विषयों का गवाह रहा है। इसका संरक्षण ज़रूरी है। यह पहल चित्रकूट के आम जनमानस, इतिहास और संस्कृतिप्रेमियों की जीत है।
जिले मे होना चाहिए कार्यालय
बातचीत के दौरान डा. पाल ने इस बात को माना कि यहां भी पुरातत्व विभाग का एक कार्यालय होना चाहिए। उन्होंने कहा कि बांदा और चित्रकूट में तमाम ऐसी धरोहर हैं, जिनका संरक्षण आवश्यक है। प्रयागराज में कार्यालय होने से समय से इसकी जानकारी नहीं हो पाती और इनका हश्र पुरानी कोतवाली जैसा होता है। अगर समय से पता चल जाए, तो ऐसा न हो।
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