अस्पताल में नहीं मिली एंबुलेंस, ठेली पर ले गया पत्नी का शव

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दरियाबाद/बाराबंकी, अमृत विचार। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मथुरानगर के शिथिल रवैया की वजह से इंसानियत को शर्मसार कर देने वाला मामला सामने आया है जो प्रदेश की बदतर स्वास्थ्य सेवाओं की कहानी भी कह रही है। यहां एक युवक को अस्पताल से एंबुलेंस नहीं मिली तो उसे अपनी पत्नी के शव को ठेले से घसीटकर घर …

दरियाबाद/बाराबंकी, अमृत विचार। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मथुरानगर के शिथिल रवैया की वजह से इंसानियत को शर्मसार कर देने वाला मामला सामने आया है जो प्रदेश की बदतर स्वास्थ्य सेवाओं की कहानी भी कह रही है। यहां एक युवक को अस्पताल से एंबुलेंस नहीं मिली तो उसे अपनी पत्नी के शव को ठेले से घसीटकर घर जे जाने को विवश होना पड़ा।

प्रदेश की ऐसी तस्वीर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह के दावे को चिढ़ाती दिख रही है। दरियाबाद कोतवाली के अंतर्गत तेलमा ग्राम पंचायत के मजरे सुरजवापुर निवासी देशराज ने बताया कि वह अपनी गर्भवती पत्नी पूजा को प्रसव के लिए गुरुवार की सुबह लगभग 9 बजे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मथुरानगर ले गए थे।

जहां उसकी पत्नी को सामान्य प्रसव हुआ और उसने एक बच्चे को जन्म दिया। बच्चा रो नहीं रहा था इसके लिए उसने डॉक्टरों से बताया और डॉक्टर आते इससे पहले ही उसकी पत्नी की हालत खराब हो गई। जब डॉक्टरों ने उसे देखा तो मृत घोषित कर दिया।

सीएचसी स्टाफ ने परिजनों को मृतक पूजा का शव सौंप दिया। परिजनों ने अस्पताल स्टाफ से शव ले जाने के लिए वाहन की मांग की लेकिन किसी ने मदद नहीं की। जब काफी देर बाद भी वाहन नहीं मिला तो परिजन घर से ठेला लेकर आए और उसी में शव रखकर लगभग ढाई किलोमीटर दूर अपने घर लेकर गए।

इस संबंध में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर बीकेएस चौहान ने बताया कि पहली बात तो एंबुलेंस जीवित व्यक्ति के लिए होती है मृतक के लिए नहीं। मृतक के लिए शव वाहन होता है और वह सीएचसी पर नहीं होता। जिले पर जरूर होता है।

लेकिन शव को ठेलिया से ले जाना गलत है। इसके लिए डॉक्टरों को शव वाहन या किसी अन्य वाहन की व्यवस्था करनी चाहिए थी। इसके लिए सीएचसी अधीक्षक से पूछताछ की जाएगी। जब इस विषय पर सीएचसी अधीक्षक संजय पाण्डेय से सम्पर्क साधा गया तो उनसे बात नहीं हो सकी।

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