मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में एक और आवेदन दाखिल

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Published By Deepak Mishra
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प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट में मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में एक और रोचक घटनाक्रम जुड़ गया है। ईदगाह मस्जिद की भूमि, भवन, बेसमेंट के 'प्रिवेंशन', 'डिटेंशन' और 'इंस्पेक्शन' तथा अन्य स्थानों की फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी की अनुमति देने की मांग करते हुए एक और आवेदन दाखिल किया गया है।

मालूम हो कि यह आवेदन मस्जिद स्थल पर पूजा करने के अधिकार के साथ-साथ उक्त संरचना को हटाने सहित विभिन्न राहतों की मांग करने वाले कई मुकदमों की सुनवाई कर रहे हाईकोर्ट के समक्ष संबंधित लंबित मुकदमों में से एक में दाखिल किया गया है।

उपरोक्त आवेदन सीपीसी के आदेश 39 नियम 7 के तहत भगवान श्री कृष्ण लाला विराजमान द्वारा अधिवक्ता रीना सिंह के माध्यम से दाखिल किया गया है, जिसमें यह दावा किया गया है कि शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के संरक्षण और कस्टडी का निर्देश देना न्याय के हित में होगा।

न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन की पीठ ने इस आवेदन को रिकॉर्ड पर लेते हुए विपक्षी (यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और प्रबंधन समिति शाही ईदगाह ट्रस्ट) को सुनवाई की अगली तारीख 18 दिसंबर तक अपनी आपत्तियां दर्ज करने की छूट दी है। जैसा कि ज्ञात है, यह आवेदन हाईकोर्ट में लंबित मूल मुकदमों में से एक में दाखिल किया गया है।

इसमें अन्य मुकदमों की तरह मांग की गई है कि विवादास्पद भूमि भगवान कृष्ण की है और विपक्षियों को मस्जिद हटाने का निर्देश देना चाहिए। एक अन्य मुकदमे में यह दावा किया गया है कि मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद को सम्राट औरंगजेब के आदेश के तहत कृष्ण जन्मभूमि के बगल में बनाया गया था, जिसके बारे में माना जाता है कि यह वह स्थान है, जहां भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। मालूम हो कि हाईकोर्ट उपरोक्त विवाद में लंबित मुकदमों में से एक में अपना आदेश पहले ही सुरक्षित कर चुका है, जिसमें मस्जिद का निरीक्षण करने के लिए अदालत आयुक्त की नियुक्ति की मांग की गई थी।

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