Allahabad High Court: ज्ञानवापी मस्जिद मामले की सुनवाई शुक्रवार को भी रहेगी जारी

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Published By Deepak Mishra
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प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद मामले में गुरुवार को संबद्ध पक्षों के तर्कों को सुनने के बाद मुकदमे की सुनवाई शुक्रवार के लिए टाल दी। वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करने वाली अंजुमन इंतजामिया कमेटी ने मस्जिद के स्थान पर मंदिर बहाल करने की मांग वाले वाद की पोषणीयता को चुनौती देते हुए वर्तमान याचिका दाखिल की है। 

सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड व अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की तरफ से दाखिल याचिकाओं पर न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल सुनवाई कर रहे हैं।शुक्रवार को कोर्ट मामले में जिला अदालत द्वारा दिए गए सर्वे के आदेश पर सुनवाई करेगी।  
गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की ओर से अयोध्या मामले में दिए गए निर्णय के साथ ही सुप्रीम कोर्ट, इलाहाबाद हाईकोर्ट सहित कई अन्य उच्च न्यायालयों की ओर से दिए गए निर्णयों का भी हवाला दिया गया।

मस्जिद पक्ष की ओर से मामले में दो मजबूत तर्क दिए गए हैं। पूजा स्थल अधिनियम-1991 के तहत किसी भी धार्मिक स्थल का स्वरूप बदला नहीं जा सकता है। प्रावधान के मुताबिक मस्जिद का जो स्वरूप 1947 में था, वह आज भी वैसा ही है। पूजा स्थल अधिनियम किसी भी धार्मिक स्थल के स्वरूप में बदलाव को प्रतिबंधित करता है, वहीं हिंदू पक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन, अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी और अजय कुमार सिंह ने तर्क दिया कि पूजा स्थल अधिनियम इस मामले में लागू नहीं होता है, क्योंकि यह विवादित स्थल है। पूजा स्थल अधिनियम उन धार्मिक स्थलों पर लागू होता है,जहां विवाद नहीं है। 

अधिवक्ता अजय कुमार सिंह ने इसका उदाहरण भी देते हुए कहा कि जैसे जामा मस्जिद कोई विवादित स्थल नहीं है, वहां किसी भी तरह का दावा नहीं है। वहां पूजा स्थल अधिनियम पूरी तरह से लागू है, लेकिन ज्ञानवापी विवाद में यह अधिनियम लागू नहीं होता है।इसके साथ ही हिंदू पक्ष की ओर से यह भी तर्क दिया गया कि उक्त स्थल किसी वक्फ अधिनियम के दायरे में भी नहीं आता है, क्योंकि दावे में परिसर में किसी तरह की तोड़फोड़ या अन्य कार्रवाई की बात नहीं की गई है।

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