नैनीताल: पटुवाडांगर को फिल्म सिटी बनाने की सरकार को सुध नहीं
चन्द्रेक बिष्ट, नैनीताल, अमृत विचार। चार वर्ष पूर्व उत्तराखंड फिल्म विकास परिषद की गैर सरकारी कमेटी को भंग करने के बाद कुमाऊं के नैनीताल स्थित पटुवाडांगर में फिल्म सिटी बनाने के प्रयास नही हो रहे हैं और न ही परिषद की गैर सरकारी सदस्यों व उपाध्यक्षों का चयन ही किया गया है।
बतातें चले कि 2016 में हरीश रावत सरकार द्वारा चयनित परिषद के सदस्यों के प्रस्ताव पर ही हरीश रावत सरकार ने पटुवाडांगर में फिल्म सिटी बनाने की घोषणा की थी। इसके बाद उत्तराखंड फिल्म विकास परिषद की गैर सरकारी सदस्यों की पहल पर पटुवाडांगर में फिल्म सिटी बनाने की कवायद तेज हो गई, लेकिन दून में बैठे अधिकारियों की एक लाबी ने पटवाडांगर में फिल्म सिटी बनाने के प्रयासों में बाधा डालनी शुरू कर दी।
लिहाजा आज तक यह मामला ठंडे बस्ते में पडा है। मालूम हो कि परिषद के पदेन अध्यक्ष सीएम होते है, जबकि सूचना एवं लोक सम्पर्क विभाग के महानिदेशक इसके सचिव होते हैं। लगभग 18 सरकारी उच्चाधिकारी पदेन सदस्य होते हैं। उत्तराखंड फिल्म विकास परिषद की गैर सरकारी लोगों में जाने माने फिल्मअभिनेता हेमंत पांडे व गढ़वाल के श्रीकृष्ण नौटियाल को उपाध्यक्ष रूप में शामिल किया गया था।
इसके अलावा एक दर्जन से अधिक लोग इसके सदस्य बनाये गये थे। इस संबंध में उत्तराखंड फिल्म विकास परिषद के पूर्व सदस्यों का कहना है कि परिषद ने कुमाऊं के नैनीताल स्थित पटुवाडांगर में फिल्म सिटी बने इसके लिए महत्वपूर्ण कार्य किये। एक पूर्व सदस्य ने सीधे आरोप लगाया है कि परिषद की गैर सरकारी कमेटी को राजनैतिक कारणों से भंग किया था। हालत तो यह है कि एक लाबी जिसमें अधिकारी भी शामिल है।
वह पटुवाडांगर में फिल्म सिटी बनाने में बाधा डाल रहे थे। उत्तराखंड फिल्म विकास परिषद में इस समय सरकारी अधिकारी काबिज हैंऔर आज तक परिषद के उपाध्यक्ष व सदस्य तक बनाने की सरकार की ओर से कोई सुध नहीं ली जा रही है। पटुवाडांगर में स्वास्थ्य विभाग की करोड़ों की संपत्ति बर्बाद हो रही है।
फिल्म सिटी का मामला जानबूझ कर लटकाया गया : सुर्दशन साह
उत्तराखंड फिल्म विकास परिषद के पूर्व सदस्य व फिल्म निर्माता सुर्दशन साह का कहना है कि परिषद के गैर सरकारी सदस्यों ने कुमाऊं के नैनीताल स्थित पटुवाडांगर में फिल्म सिटी बनाने के लिए महत्वपूर्ण कार्य किये। इसके तत्कालीन डीएम सहित विभिन्न अधिकारियों ने कई बार स्थलीय निरीक्षण भी किया गया। फिल्म सिटी के लिए बहुत काम किये जा चुके थे। एक लाबी जिसमें अधिकारी भी शामिल हैं, वह पटुवाडांगर में फिल्म सिटी बनाने में बाधा डाल रहे है। इससे जाहिर है कि फिल्म सिटी का मामला जानबूझ कर लटकाया गया है। परिषद को राजनैतिक कारणों से भंग किया गया।
फिल्म सिटी बनाने के प्रयास जारी, पटुवाडांगर भी एक विकल्प : उपाध्याय
सूचना एंव लोक सम्पर्क विभाग के उपनिदेशक व फिल्म सिटी से संबंधित कार्य देख रहे नितिन उपाध्याय का कहना है कि फिल्म विकास परिषद के गैर सरकारी सदस्यों का चयन नहीं हो सका है, लेकिन परिषद व सरकार की ओर से फिल्म सिटी बनाने के प्रयास जारी हैं। उत्तराखंड में फिल्म सिटी बनाने के लिए कई स्थानों का निरिक्षण किया जा रहा है। कुमाऊं के नैनीताल स्थित पटुवाडांगर को फिल्म सिटी बनाने के विकल्प के रूप में रखा गया है। परिषद के पदेन अध्यक्ष सीएम होते है, जबकि सूचना एंव लोक सम्पर्क विभाग के महानिदेशक इसके सचिव होते हैं। लगभग 18 सरकारी उच्चाधिकारी पदेन सदस्य होते हैं। समय-समय पर बैठकें कर कार्यों की समीक्षा की जाती है।
