ब्राह्मणों ने देश को हमेशा एक सूत्र में बांधने का काम किया है : दिनेश शर्मा
संगमनगरी में वैदिक मंत्रोंचार के साथ ब्राह्मण महाकुंभ का आगाज
प्रयागराज, अमृत विचार। संगम तट के पास परेड मैदान पर रविवार को ब्राह्मण महाकुंभ का शुभारंभ किया गया है। महाकुंभ में राज्यसभा सदस्य पूर्व उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा, सांसद रीता बहुगुणा जोशी, प्रभाकर राव पेशवा समेत कई ब्राह्मण नेता व विभिन्न क्षेत्रों के लोग पहुंचे।
वैदिक मंत्रोचार और बटुकों ने महाआरती के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया। राष्ट्रीय परशुराम सेना ब्रम्हवाहिनी द्वारा परेड मैदान पर ब्राह्मण महाकुंभ का आयोजन किया गया है। कार्यक्रम के जरिए देश में ब्राह्मण एकता, राजनैतिक लक्ष्य, सामाजिक उत्थान का संदेश दिया गया। कार्यक्रम में अलग-अलग क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले 100 ब्राह्मणों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में प्रदेश के पूर्व उप मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि एक युवा नेता जो बुजुर्ग हो चुके हैं वह जो मन में आ रहा है वही बोले जा रहे हैं। कभी पनौती तो कभी खनौती बोल रहे हैं।
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी एक ऐसे नेता हैं जिनके पूरे खानदान में कोई हिंदू है ही नहीं। वह दत्तात्रेय गोत्र के ऐसे ब्राह्मण हैं जो जनेऊ कोट के ऊपर पहनते थे। पूर्व मुख्यमंत्री ने राहुल को लेकर ब्राह्मणों से कहा कि उनकी शादी कराइये नहीं तो कोई फिर कोई विदेशी आ जाएगी। उन्होंने कहा कि कुछ तो दिमाग लगाइये 55 साल के हो गए हों क्या जीवन भर बच्चे ही बने रहोगे।
दिनेश शर्मा ने कहा कि आज बच्चों में संस्कार डालने की जरूरत है। आज हम अपनी संस्कृति और संस्कार को भूलते जा रहे हैं। पहले जन्मदिन पर लोग टीका लगाते थे और दीपक जलाते थे। भगवान सत्य नारायण की कथा सुनते थे। लेकिन आज कैंडल जलाकर चाकू से केक काट रहे हैं। उन्होंने कहा कि ब्राह्मणों ने देश को हमेशा एक सूत्र में बांधने का काम किया है। ब्राह्मणों ने वेद और पुराणों है सदैव रक्षा की है। मुगलो, अंग्रेजों, पुर्तगालियों ने देश को लूटने, घसोटने और नोचने का कार्य किया। रामायण, महाभारत लिखने वाले ब्राह्मण नहीं थे। गीता का उपदेश देने वाले भगवान श्रीकृष्ण भी ब्राह्मण नहीं थे।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का भी यही कहना है कि जाति-पाति से ऊपर उठकर गरीबी दूर करना ही एकमात्र लक्ष्य होना चाहिए। कहा कि जिसके अंदर संस्कार है वही ब्राह्मण है। ब्राह्मण त्याग और तपस्या और समर्पण की भावना से अपना कार्य करता है। जाति और धर्म से ऊपर उठकर हमे देश को एकता से सूत्र में बांधने का कार्य करना होगा।
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