प्रयागराज : इटावा के मुर्दाघर में तीन वर्षों से रखे महिला के शव मामले में दाखिल याचिका निस्तारित
प्रयागराज, अमृत विचार। इटावा के एक मुर्दाघर में पिछले तीन वर्षों से रखे गए एक महिला के शव की शिनाख्त के संदर्भ में दाखिल याचिका को निस्तारित करते हुए मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर और अजय भनोट की खंडपीठ ने कहा कि इसी मामले की याचिका इस न्यायालय की लखनऊ पीठ के समक्ष लंबित है। यह न्यायालय लखनऊ पीठ से सुनवाई जारी रखने का अनुरोध करता है। स्थाई अधिवक्ता उक्त आदेश के बारे में इस न्यायालय की लखनऊ पीठ को सूचित करेंगे और उक्त आदेश की प्रति लखनऊ पीठ के समक्ष रिकॉर्ड में रखी जाएगी। इस तरह वर्तमान जनहित याचिका का निस्तारण कर दिया गया।
गौरतलब है कि हाईकोर्ट द्वारा इटावा के एक मुर्दाघर में पिछले तीन वर्षों से रखे गए एक महिला के शव की शिनाख्त के बारे में स्वत: संज्ञान लेने पर उत्तर प्रदेश सरकार ने पिछली तिथि पर हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट को सूचित किया कि इटावा के एक मुर्दाघर में पिछले तीन साल से रखे गए महिला के कंकाल के डीएनए के नमूने उस परिवार के नमूनों से मेल नहीं खाते हैं, जिसने दावा किया था कि यह अज्ञात शव उनकी बेटी का है।
अपर महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि डीएनए जांच में उन्हें कंकाल के जैविक माता-पिता नहीं मिले। मालूम हो कि इससे पूर्व 26 अक्टूबर को स्वतः संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने एक समाचार पत्र की रिपोर्ट के आधार पर सरकार से इस मामले में विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराने को कहा था। याचिका के अनुसार एक परिवार ने दावा किया था कि शव उनकी लापता बेटी रीता का है। कोर्ट ने सरकार से इस मामले की केस डायरी और जांच की स्थिति का विवरण उपलब्ध कराने को कहा था। कोर्ट ने यह जानकारी भी उपलब्ध कराने को कहा था कि किस तिथि को जांच के नमूने लिए गए और उन्हें कब डीएनए जांच के लिए हैदराबाद स्थित फोरेंसिक प्रयोगशाला भेजा गया।
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