जड़ पर प्रहार की जरूरत
दीपावली पर पटाखों पर वैन लगाकर प्रदूषण समाप्त करने की परिकल्पना किसकी थी सवाल यह नहीं, बल्कि सवाल यह है कि क्या इससे प्रदूषण की समस्या समाप्त हो गई? हर जिम्मेदार व्यक्ति को यह समझना होगा कि छोटे मोटे प्रतिबंधों से पर्यावरण को साफ़ नहीं बनाया जा सकता। यह प्रतिबंध अपनी ही मूल गलतियों की लीपापोती है।
इनसे पर्यावरण प्रदूषण की छोटी-मोटी शाखाएं भले ही कट जाएं, लेकिन मूल वृक्ष जैसे का तैसा रहेगा। उसकी जड़ें और गहरी होंगी। जरूरत जड़ों पर प्रहार करने की है, लेकिन इस पर हमला करने से जिस तरह बचा जा रहा है वह और अधिक चिंतित करने वाला है। यह भी चिंताजनक है कि राज्य इसकी जिम्मेदारी एक दूसरे पर डालने की कोशिश कर रहे हैं। दिल्ली की सरकार ने जिस तरह इसके लिए पड़ोसी राज्य हरियाणा को जिम्मेदार ठहराया है उससे सहमत नहीं हुआ जा सकता।
इसके लिए कोई एक राज्य जिम्मेदार नहीं माना जा सकता। अलबत्ता पराली जलाने से रोकने के सभी प्रयास, यहां तक की अदालत के निर्देश भी कारगर साबित नहीं हो रहे हैं तो इसके लिए कोई अन्य नहीं, बल्कि इन राज्यों की राजनीतिक इच्छा शक्ति का अभाव जिम्मेदार है। न पंजाब की आप सरकार कुछ कर पा रही है,न ही हरियाणा की। होना तो यह चाहिए कि जल और वायु दोनों को प्रदूषित करने वाले कारणों को समाप्त किया जाए।
आज के प्रगतिशील युग में यह कल्पना बेमानी होगी कि सारे वाहनों पर प्रतिबंध लगाकर उन्हें गैराजों में बंदकर दिया जाए अलबत्ता यह किया जा सकता है कि जहरीला धुंआ और जहरीला जल नदियों में छोड़ने वाले कल कारखानों पर सख्ती की जाए और उन पर पर्यावरण के अनुकूल संयंत्र लगाने का दबाव बनाया जाए। ऐसा नहीं किया जा रहा है।
कई कारखाने पर्यावरण के लिए जारी निर्देशों को न मानकर मनमानी कर रहे हैं। इसके पीछे भी राजनीति ही है, जो अपनी जमीन बचाने के लिए हवा में जहर घुलने दे रही है और चिंतित होकर भी दिखा रही है। हालात बिगड़ते ही जा रहे हैं। दिल्ली में तो हालत यह हो गई है कि सांस लेने में भी कहीं-कहीं कठिनाई महसूस की जाने लगी है।
यहां तो स्कूल ही बंद कर दिए गए, लेकिन इसे प्रदूषण समाप्त करने का कोई उपाय नहीं माना जा सकता, बल्कि यह समस्या से भागने जैसा है। इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि यदि अभी भी नहीं चेता गया और राजनीति से ऊपर उठकर इस दिशा में काम नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में यह संकट और भी गंभीर हो सकता है जिससे मानव स्वास्थ्य के लिए भारी खतरा पैदा हो सकता है।
