मुरादाबाद: किस तरह घर को बनाते हैं बनाने वाले... क्या समझेंगे

Amrit Vichar Network
Published By Ashpreet
On

मुरादाबाद, अमृत विचार। साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम की मासिक काव्य गोष्ठी रविवार को आकांक्षा विद्यापीठ इंटर कॉलेज में हुई। इसमें कवियों ने अपनी रचनाओं से सामाजिक सरोकारों की स्थितियों को रेखांकित किया।  

कवि नकुल त्यागी द्वारा प्रस्तुत मां सरस्वती की वंदना से आरंभ हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि रामदत्त द्विवेदी ने की।  वरिष्ठ गजलकार ओंकार सिंह ओंकार ने अपनी  गजल  किस तरह घर को बनाते हैं बनाने वाले, क्या समझ पाएंगे यह आग लगने वाले सुनाई। नवगीतकार योगेन्द्र वर्मा व्योम ने दोहा मानवता की देह ही, होती लहूलुहान। युद्ध समस्या का कभी, होते नहीं निदान।

आशाएं मन में न अब, होतीं कभी अधीर। इच्छाएँ सूफ़ी हुईं, सपने हुए कबीर से वाहवाही लूटी। वरिष्ठ कवि रघुराज सिंह निश्चल ने सोचिए आकर जगत में क्या किया। किस तरह बहुमूल्य यह जीवन जिया, नकुल त्यागी ने जगमग जगमग दीप जले हैं दिवाली आई। मार दशानन राम लखन संग अवध जानकी आई सुनाकर सराहना पाई।  

रामदत्त द्विवेदी की रचना यादों में ना रहते जग की दौलत के रखवारे लोग, केवल दिल पर लिखे जाते धर्मशास्त्र के प्यारे लोग को सराहना मिली।  केपी सरल ने चलत रही रस्साकसी, हम दोनों के बीच। हल्का हम को देख कर, रहा बुढापा खींच, अशोक विद्रोही ने वीररस की कविता सुनाई- भारत मां की रक्षा खातिर, हमको आज बदलना होगा। सेज छोड़कर मखमल की, अब अंगारों पर चलना होगा से जोश भरा।  

पदम सिंह बेचैन ने कहा- और कितनी बेरुखी माधव हमें दिखलाओगे। पाओगे हमको वही जहां कहीं तुम जाओगे। मुख्य अतिथि वरिष्ठ गजलकार ओमकार सिंह ओंकार एवं विशिष्ट अतिथि में वरिष्ठ कवि रघुराज सिंह निश्चल व नकुल त्यागी रहे। कार्यक्रम का संचालन नवगीतकार योगेन्द्र वर्मा व्योम ने किया। राजीव प्रखर ने आभार जताया।

 

संबंधित समाचार