बाराबंकी: आपसी सद्भाव की कामना के साथ संपन्न हुआ वारिस पाक का कुल, कव्वाली से गुलजार रहे समाखाने

देवा, बाराबंकी। आपसी भाई चारा और सदभाव का पैगाम दुनिया भर में फैलाने वाले सूफ़ी दरवेश हज़रत हाजी सैय्यद वारिस अली शाह के कुल शरीफ़ की रस्म यहाॅ शनिवार की रात्रि हजारों जायरीन की मौजूदगी में अदा गयी ।कुल में भाग लेने के लिए देश के कोने कोने से बीते दिनो से हज़ारों अकीदत मंदो के आने का क्रम जारी था । कुल शरीफ की रस्म अदा होने के साथ ही जायरीन के वापसी का सिलसिला प्रारंभ हो गया है।
हज़रत हाजी सैय्यद वारिस अली शाह के पिता दादामियाॅ की याद मे लगने वाले एतिहासिक मेले के अवसर पर शनिवार की रात्रि भर आस्ताना ए आलिया के समा खाना,खानकाह हजरत कल्लन मियां व दिगर समा खानो मे सूफ़ियाना क़व्वाली के बाद या हक़ या वारिस के गगन भेदी नारों के बीच हज़ारों अकीदत मंदो की उपस्थिति मे हाज़ी वारिस अली शाह का कुल शरीफ़ संपन्न हुआ इस दौरान हर तरफ़ वारिस पाक के दीवाने नजर आ रहे थे, सिरों पर चादरे और फूलो की डलिया लिए वारिस पाक के दीवाने पुरी रात वारिस के दरबार में हाज़िरी देकर अपनी मुरादें मांगते रहे।
इस अवसर पर बीतें दिनो से आस्ताना आलिया के समा खाने में विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमो का आयोजन किया गया। रात्रि आस्ताना आलिया के समा खाना समेत हज़रत सैय्यद क़ुर्बान अली शाह (दादा मियाँ) की दरगाह के सज्जादा नशीन हाजी सैय्यद उसमान गनी शाह और दीगर समा खनो में देश के विभिन्न स्थानो के अलावा स्थानीय मशहूर कव्वालो ने सूफ़ी संत हज़रत वारिस पाक की शान मे सूफ़ियाना कलाम पेश किया वहीं मेला कार्तिक में शामिल होने के लिए विभिन्न स्थानो से अकीदत मंदो के आने का क्रम कुल शरीफ़ संपन्न होने से पूर्व तक जारी रहा।
शनिवार रात्रि सुबह जैसे ही 4 बज कर 13 मिनट हुआ कलाम पाक की तिलवात से वारिस पाक का कुल शरीफ़ शुरू हुआ इस दौरान आकीदतमंदो के हाथो से शिरनी लेकर एक जगह जमा की जा रहा थी कुल शरीफ़ के समय जिसको जहाँ जगह मिली वह वहीं पे खड़ा हो गया और दुल्हन की तरह सजाया गए वारिस पाक का रौज़ा निहारता रहा, कलाम पाक की सूरतों की तिलवात के बाद सलाम वारिस पाक के दरबार मे पूरे अदब व एहतराम के साथ पेश किया गया।
इसके बाद शिरनी आदि की नज़र पेश करने के बाद मुल्क मे अमन सलामती के लिए दुआ की गयीं इसी के साथ वारिस पाक के कुल शरीफ़ की रस्म फजिर नमाज़ से पूर्व संपन्न हो गयी। कुल शरीफ़ की रस्म अदा होने के साथ ही अकीदतमंदों ने दरबार वारिस पाक में हाज़िरी दी और अपने घरों की ओर वापसी का क्रम शुरू कर दिया।
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