Allahabad High Court: अधिवक्ताओं द्वारा रक्त संबंधियों के मामलों को लेना उचित नहीं

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Published By Deepak Mishra
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प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आपराधिक अवमानना के मामले में अपनी विशेष टिप्पणी में कहा कि अधिवक्ता अपने क्लाइंट चुनने के लिए स्वतंत्र है, लेकिन उन्हें रिश्तेदारों के मामलों को लेने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे वह मामले में भावनात्मक रूप से शामिल हो सकते हैं। 

कोर्ट ने आगे कहा कि अधिवक्ताओं को अपने करियर की शुरुआती चरणों में यह सीखना चाहिए कि उन्हें अपने रिश्तेदारों के लिए कोर्ट में प्रस्तुत नहीं होना चाहिए। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि न्यायालय का समय बहुमूल्य है और इसे पदभ्रष्ट वादियों और अधिवक्ताओं पर बर्बाद नहीं किया जाना चाहिए, साथ ही ऐसे वादियों और वकीलों को माफी मांगने के लिए मजबूर करना कोर्ट का कार्य नहीं है। 

उक्त टिप्पणियां न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह और न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार (चतुर्थ) की खंडपीठ ने अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश, परिवार न्यायालय, अलीगढ़ की अदालत में कार्यवाही में बाधा डालने के लिए अधिवक्ता बेटे और याची पिता को जारी अवमानना नोटिस पर विचार करते हुए कीं। 

वादी सुभाष कुमार और उनके अधिवक्ता शुभम कुमार, जो पिता- पुत्र हैं, के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए महिला प्रधान न्यायाधीश, फैमिली कोर्ट, अलीगढ़ द्वारा एक लिखित शिकायत की गई। उन्होंने यह आरोप लगाया कि जब वह एक अन्य मामले की सुनवाई कर रही थीं, तब सुभाष कुमार ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया। 

चेतावनी देने के बावजूद सुभाष कुमार ने अनियंत्रित ढंग से व्यवहार करना जारी रखा, इसलिए उनके खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्रवाई शुरू की गई। इसके अलावा शुभम कुमार ने दोपहर के सत्र में अदालती कार्रवाई में व्यवधान उत्पन्न किया। उसने अपने पिता द्वारा दाखिल मामले को स्थानांतरित करने की मांग करते हुए अदालत को धमकी दी। 

उसने कार्यवाही बाधित करते हुए कहा कि वह इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अधिवक्ता हैं और वे जानते हैं कि छोटी अदालतों से कैसे निपटना है, साथ ही पीठासीन अधिकारी के खिलाफ शिकायत दर्ज करने की धमकी भी दी। अंत में कोर्ट ने यह निष्कर्ष निकाला कि प्रधान न्यायाधीश का रिकॉर्ड बेदाग था और उन्होंने अपनी ओर से इस बात की पूरी कोशिश की कि अदालत और कार्यवाही की मर्यादा बनी रहे।

इसके साथ ही कोर्ट ने मामले को निस्तारित करते हुए इसे बार काउंसिल ऑफ़ उत्तर प्रदेश के समक्ष भेजने का निर्देश दिया, जहां अधिवक्ता शुभम कुमार की काउंसलिंग की जा सके, जिससे वे भविष्य में कोर्ट में उचित व्यवहार कर सकें।

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