अमृत विचार की खबर का असर, लोनिवि ने शासन को भेजा 454.93 करोड़ का संशोधित एस्टीमेट
जेल निर्माण : मूंढापांडे क्षेत्र में एयरपोर्ट के समीप 96 एकड़ जमीन पर बननी है हाईसिक्योरिटी बैरक वाली दो मंजिला जेल
चित्र परिचय : अमृत विचार में 21 सितंबर 2023 को प्रकाशित खबर।
मुरादाबाद,अमृत विचार। नई जेल के निर्माण की कवायद शुरू हुए 15 साल से अधिक का वक्त बीत चुका है। जमीन मिले भी डेढ़-दो साल हो गए हैं लेकिन, काम की शुरूआत नहीं हो सकी है। इस बीच में पीडब्ल्यूडी की लगातार लापरवाही और हीलाहवाली देखने को मिली है। वर्ष 2022 की शुरूआत में लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी निर्माण खंड-भवन) के अधिशासी अभियंता की तरफ से भेजे गए एस्टीमेट में शासन ने आपत्ति लगाकर दूसरा संशोधित एस्टीमेट मांगा था। इसे भेजने में अभियंता ने करीब पौने दो साल का समय लगा दिया।
अभियंता की इस लापरवाही को अमृत विचार ने 21 सितंबर के अंक में प्रमुखता से प्रकाशित किया था। अभियंता की कार्यशैली पर वरिष्ठ जेल अधीक्षक ने भी सवाल खड़े कर जिला जज अजय कुमार द्वितीय व डीएम मानवेंद्र सिंह को बताया था। जिस पर उच्चाधिकारियों ने अधिशासी अभियंता चंद्रशेखर सिंह को तलब कर कड़ी नाराजगी जाहिर की थी। खैर, अब संशोधित एस्टीमेट शासन की उच्च स्तरीय तकनीकी समिति (पीएफएडी) को भेज दिया है।
संशोधित एस्टीमेट में खास ये भी है कि पूर्व की कार्ययोजना के मुताबिक नए एस्टीमेट में जेल निर्माण की लागत में और 54.35 लाख रुपये की वृद्धि हो गई है। वैसे पूर्व के एस्टीमेट में नई जेल बनाने की लागत 454.93 करोड़ रुपये दर्शाई गई थी, जो अब 454.93 करोड़ रुपये हो गई है। सहायक अभियंता निर्माण आसिफ हुसैन ने बताया कि संशोधित एस्टीमेट पीएफएडी को भेजा जा चुका है। इसकी स्वीकृति मिलने के बाद टेंडर आदि की प्रक्रिया पूरी कर जेल निर्माण का कार्य शुरू कराया जाएगा।
स्वीकृति मिलने पर भी जेल बनने में लगेंगे तीन साल
वरिष्ठ जेल अधीक्षक पवन प्रताप सिंह ने बताया कि जेल बनाने के लिए वर्ष 2015-16 में 96 एकड़ जमीन की रजिस्ट्री करा ली गई थी। उन्होंने बताया कि संशोधित एस्टीमेट जल्द ही शासन पहुंचे, ताकि उस पर कार्रवाई शुरू हो सके। इसके लिए उन्होंने पीडब्ल्यूडी अधिशासी अभियंता को कई पत्र भी लिख चुके थे। लेकिन, अभियंता की तरफ से अनदेखी करने पर ही उन्होंने उच्चाधिकारियों को मामले से अवगत कराया था। उधर, सहायक अभियंता आसिफ हुसैन ने बताया कि सब कुछ समय रहते पूरा होता गया तो भी नई जेल का निर्माण पूरा होने में करीब तीन साल का समय लगेगा।
नई जेल परिसर में होंगी सुविधाएं
स्कूल बनेगा। खेल मैदान, कांफ्रेंसिंग हाल, अधिकारी-कर्मचारियों के आवास भी बनेंगे। कंप्यूटर केंद्र व अन्य कार्यों के लिए हाईप्रोफाइल सेंटर बनेंगे। बाल कारागार भी बनेगा। महिला बंदियों और उनके बच्चों के लिए विशेष बैरक होगा।
संशोधित एस्टीमेट शासन में पहुंच गया है इसलिए जेल निर्माण प्रारंभ होने की प्रक्रिया तेज होने की उम्मीद बढ़ गई है। कार्ययोजना की स्वीकृति मिलते ही मौके पर कार्य शुरू कराया जाएगा। पुरानी जेल की 23 बैरक हैं और बंदियों की संख्या क्षमता से कई गुना अधिक है। इसलिए दिक्कतें होती हैं।- पवन प्रताप सिंह, वरिष्ठ जेल अधीक्षक
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