समन भेजने पर राजभवन सख्त, कहा- भविष्य में न हो ऐसी पुनरावृत्ति

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Mishra
On

लखनऊ, बदायूं, अमृत विचार। बदायूं के एसडीएम न्यायिक विनीत कुमार की ओर से समन भेजे जाने पर राजभवन ने कड़ी नाराजगी जताई है। राजभवन ने बदायूं के एसडीएम के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश देते हुए कहा कि भविष्य में इस प्रकार की पुनरावृत्ति न हो। इस बीच, राजभवन की नाराजगी के बाद एसडीएम न्यायिक को चेतावनी दी गई है, साथ ही समन निरस्त कर दिया गया है।

सदर तहसील के एसडीएम न्यायिक कोर्ट ने जमीन से जुड़े एक मामले में राज्यपाल को समन भेजकर कोर्ट में पेश होने का आदेश जारी किया था। समन राजभवन पहुंचने पर हड़कंप मच गया। राजभवन के अफसरों ने इसकी जानकारी राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को दी। बताया जा रहा है कि इस पर राज्यपाल ने सख्त नाराजगी जताई। 

राज्यपाल के विशेष सचिव बद्रीनाथ सिंह ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बदायूं के जिलाधिकारी से बातचीत कर कड़ी नाराजगी जताई व एसडीएम के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए। बाद में उन्होंने डीएम को पत्र लिखकर कड़ी आपत्ति जताई। इसके बाद डीएम ने समन निरस्त कर दिया। एसडीएम न्यायिक कोर्ट को इस तरह की पुनरावृत्ति न करने की चेतावनी दी गई है। फाइलों को सही प्रकार से पढ़कर ही हस्ताक्षर करने को कहा गया है।

यह था मामला

यह मामला बदायूं की तहसील सदर क्षेत्र के गांव लोड़ा बहेड़ी का है। यहां के निवासी चंद्रहास ने एसडीएम न्यायिक विनीत कुमार की कोर्ट में धारा 144 राजस्व संहिता के अंतर्गत लेखराज, पीडब्ल्यूडी के अधिकारी और राज्यपाल को पक्षकार बनाते हुए 2019 में वाद दायर किया था। इसमें उन्होंने बताया कि बुआ की बहन के बेटे चंद्रपाल ने उनकी बुआ कटोरी देवी की तीन बीघा जमीन अपने नाम करा ली थी। 

इसके बाद जमीन शहर के मोहल्ला ऊपरपारा निवासी लेखराज के एक व्यक्ति को बेच दी। कुछ दिनों के बाद एक बीघा जमीन बाईपास के लिए अधिग्रहीत हुई। इसके एवज में लेखराज को वर्ष 2020 में 15 लाख रुपये मुआवजा राशि मिली थी। चंद्रहास ने एसडीएम न्यायिक कोर्ट में उसी जमीन की खतौनी में अपना नाम दर्ज कराने की मांग करते हुए वाद दायर किया था। एसडीएम न्यायिक ने 10 अक्टूबर को राज्यपाल को समन जारी कर 18 अक्टूबर को पेश होने का आदेश दिया था।

राज्यपाल को समन करना अनुच्छेद 361 का उल्लंघन

राज्यपाल के विशेष सचिव बद्री नाथ सिंह ने बदायूं के जिलाधिकारी को भेजे गए पत्र में कहा कि राज्यपाल को समन या नोटिस जारी नहीं किया जा सकता। राज्यपाल को समन भेजकर संविधान के अनुच्छेद 361 का उल्लंघन किया गया है, जो घोर आपत्तिजनक है।

वाद दायर करने वाले को नोटिस की जानकारी नहीं

एसडीएम न्यायिक कोर्ट से राज्यपाल को समन जारी होने के बाद जिला प्रशासन से लेकर शासन तक में खलबली मच गई, लेकिन वाद दायर करने वाले चंद्रहास को नोटिस के बारे में कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि बुआ उनके साथ रहती थीं। वही सेवा करते थे। उनकी कोई संतान नहीं थी। उन्होंने बुआ की जमीन पर अपना हक बताया, जिसका चंद्रपाल ने फायदा उठा लिया।

राज्यपाल के विशेष सचिव का पत्र मिला था। समन निरस्त करा दिया गया है। एसडीएम न्यायिक को इस तरह की पुनरावृत्ति न करने की चेतावनी दी गई है। अधिकारियों को कहा गया है कि आदेश को पूरी तरह से पढ़कर ही हस्ताक्षर करें ...मनोज कुमार, जिलाधिकारी बदायूं।

यह भी पढ़ें:-प्रतापगढ़: बाल वैज्ञानिकों ने प्रदर्शित किए उत्कृष्ट मॉडल, राज्य स्तर के लिए चार मॉडल चयनित

संबंधित समाचार