आशाजनक संभावना

Amrit Vichar Network
Published By Vikas Babu
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इजराइल हमास युद्ध से वैश्विक अनिश्चितता में बढ़ोतरी हुई है। परंतु चालू वित्त वर्ष के लिए भारत का व्यापक आर्थिक दृष्टिकोण उज्ज्वल है। वित्त मंत्रालय की सोमवार को जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक पश्चिम एशिया में संघर्ष के बावजूद भारत में निजी खपत के साथ-साथ निवेश मांग भी मजबूत हो रही है। रिपोर्ट कहती है कि भारत में औद्योगिक क्षमता के इस्तेमाल में सुधार हुआ है साथ ही संपत्ति बाजार भी अच्छी स्थिति में दिख रहा है।

जलाशय के स्तर में सुधार आगामी रबी सत्र के लिए अच्छा संकेत है। मुख्य मुद्रास्फीति लगातार घट रही है जबकि खाद्य मुद्रास्फीति कम हुई है। यानि भारत चार कारकों-लगभग सामान्य मानसून, पूंजीगत व्यय पर सरकार के बल देने, विश्वसनीय उधारी में वृद्धि और नई कंपनियों के पंजीकरण की सुदृढ़ स्थिति के आधार पर अनुमान से अधिक तेज़ गति से विकास करने की संभावना रखता है।

हाल की रिपोर्टों के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने वर्ष 2023-24 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि का पूर्वानुमान बढ़ाकर 6.3 प्रतिशत कर दिया है, जो अप्रैल में इसके पूर्व के अनुमान से 40 आधार अंक अधिक है। हालांकि भारतीय रिज़र्व बैंक ने अपना अनुमान 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित बनाए रखा है। फिर भी पूरे वर्ष के लिए विकास अनुमान लगभग 6.7 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। यह वैश्विक अनिश्चितताओं और ताजा भू-राजनीतिक चुनौतियों के बीच वैश्विक विश्लेषकों के भारत की आर्थिक ताकत पर बढ़ते भरोसे को दर्शाता है। 

हालांकि वर्तमान स्तर पर अमेरिकी शेयर बाजारों में गिरावट का जोखिम अधिक है और अगर ऐसा होता है तो इसका प्रभाव दुनिया के अन्य बाजारों पर भी पड़ेगा। आगे कच्चे तेल के दाम में उछाल आ सकता है। वैश्विक राजनीतिक हालात के चलते यदि जोखिम और बढ़ा तो दूसरे देशों के साथ ही भारत में आर्थिक गतिविधियों पर इसका असर देखा जा सकता है।

भारत व्यापार बाधाओं को कम कर, अपने निर्यात में विविधता लाकर और अपनी प्रतिस्पर्द्धात्मकता बढ़ाकर वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ अपना एकीकरण बढ़ा सकता है। भारत उन प्रमुख क्षेत्रों के विकास को बढ़ावा दे सकता है जिनमें विकास, रोज़गार सृजन और नवाचार की उच्च क्षमता है।

भारतीय अर्थव्यवस्था की निरंतर सुदृढ़ एवं संवहनीय वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए राजकोषीय, मौद्रिक, व्यापार, औद्योगिक और संस्थागत नीतियों को शामिल करने वाले एक रणनीतिक दृष्टिकोण का विकास करना महत्वपूर्ण है। यह व्यापक रणनीति भारत की विशाल आर्थिक क्षमता को आगे और उजागर कर सकती है तथा समृद्धि की दिशा में इसकी यात्रा का समर्थन कर सकती है।