पति को उतारा था मौत के घाट, पत्नी से किया गैंगरेप, कोर्ट ने बदमाशों को सुनाई उम्रकैद की सजा
जालौन। बात वर्ष 2015 की है जब बाइक से कोंच जा रहे दंपति को रात के समय बदमाशों ने रोक लिया था। पति के सामने ही उसकी पत्नी के साथ तीनों बदमाश रेप करने लगे। पति ने विरोध किया तो उसे मौत के घाट उतार दिया और फिर रेप करने के बाद उसका सामान लूट कर भाग गए थे। इस मामले में आठ साल बाद न्यायालय से पीड़िता को न्याय मिला। तीनों पर दोष सिद्ध होने के बाद न्यायाधीश की ओर से चार धाराओं में उम्रकैद की सजा सुनाई गई। इसी के साथ दो लाख चार हजार रुपए का आर्थिक दंड भी लगाया। सजा सुनने के बाद पीड़ित पक्ष ने राहत की सांस ली और कहा कि जैसी करनी वैसी भरनी।
जानकारी के अनुसार आठ सितंबर 2015 की घटना है। कोंच के रहने वाले दंपति एक धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए कोंच से उरई आये हुए थे। कार्यक्रम के बाद रात में ही वह वापस बाइक से कोंच लौट गए थे। अभी वह कोंच कोतवाली क्षेत्र के पनयारा गांव के समीप पहुंचे ही थे कि तभी पीछा कर रहे तीन बदमाशों ने उन्हें घेर लिया। बाइक सवार दंपति को रोककर पति को पकड़ लिया और महिला के साथ गैंगरेप किया। विरोध करने पर पति पर सरिया से हमला करके उसकी हत्या कर दी थी। इसके बाद महिला के जेवरात लूट कर भाग गए थे।
मामले की पैरवी कर रहे अपर जिला शासकीय अधिवक्ता महेंद्र विक्रम सिंह ने बताया कि पुलिस ने 9 सितंबर को मेडिकल के आधार पर रेप, हत्या व लूट की धाराओं में अज्ञात बदमाशों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। इस मामले की जांच और मोबाइल सीडीआर के आधार पर उरई कोतवाली क्षेत्र के बृजमोहन, अभिजीत उर्फ मंटोले व ध्यानचंद उर्फ ध्यानु निवासीगण मडोरा के नाम प्रकाश में आये। पुलिस ने तीनों आरोपियों को 13 सितंबर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। साथ ही कोंच कोतवाली पुलिस ने सबूतों के आधार पर तीनों आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया।
इस मामले में आठ साल तक चली सुनवाई के बाद न्यायालय स्पेशल जज डकैती के न्यायाधीश अंचल लवानियां ने साक्ष्य और गवाहों के आधार पर तीनों आरोपी बृजमोहन, ध्यानचंद और अभिजीत को दोषी मानते हुए लगी चारों धाराओं में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। इसी के साथ 2 लाख 4 हजार का आर्थिक दंड लगाया। सजा सुनाये जाने के बाद आरोपियों को हिरासत में लेकर जिला कारागार भेज दिया है, जिसमें ध्यानचंद पहले से ही उरई जेल में बंद है। जब सजा सुनाई गई तो अपराधियों की आंखों में आंसू थे। वहीं पीड़ित परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। पीड़ित पक्ष की ओर से कहा गया कि देर ही सही लेकिन जो किया था उसकी यही सजा थी। जैसी करनी वैसी भरनी।
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