लखनऊ : इप्सेफ ने प्रधानमंत्री को भेजा पत्र, कर्मचारियों की बताई पीड़ा
लखनऊ, अमृत विचार। बायोमैट्रिक हाजिरी लगाने से कर्मचारियों को समस्या हो रही है। बायोमैट्रिक हाजिरी ने कर्मचारी को अपने परिवार और समाज से अलग कर दिया है कर्मचारियों को इस तरह की दिक्कतों का सामना एनडीए सरकार में अक्सर करना पड़ता रहा है। जो आज भी जारी है।
बताया जा रहा है कि कर्मचारी सुबह 9 बजे से साम 6 बजे तक अपनी ड्यूटी पर रहेगा तो बीमार माता-पिता एवं बच्चों को कब डाक्टर के पास ले जायेगा। उसे शाम 6 बजे भी हाजिरी लगानी पड़ती है। उसे घर का सामान भी लाना पड़ता है। पर उसके पास समय ही नहीं है, इसलिए कर्मचारियों को कुछ तो समय मिलना चाहिए।
यह जानकारी देते हुए इप्सेफ (इंडियन पब्लिक सर्विस इंप्लाइज फेडरेशन) के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीपी मिश्र ने मीडिया को बताया कि इस तरह की व्यवस्था अंग्रेज सरकार में भी नहीं थी। सरकारी कर्मचारी मशीन बन गया है। वह परिवार एवं समाज से अलग होता जा रहा है।
उन्होंने कहा कि जब भी एनडीए की सरकारें आई इनकी व्यवस्था से पूरा कर्मचारी परिवार दुखी एवं नाराज है। उनका कहना है कि ऐसे में कर्मचारियों के परिवार की आकस्मिक देखभाल कौन करेगा यह बड़ा बनता जा रहा है। उन्होंने ने कहा कि सरकार कर्मचारियों की पीड़ा सुनने को तैयार नहीं है। मुख्यमंत्री से लेकर सभी अधिकारी, कर्मचारियों की पीड़ा सुनने को तैयार नहीं है। वर्तमान मुख्य सचिव भी कर्मचारी संगठनों से न मिलते हैं और न ही बात करते हैं।
राष्ट्रीय महासचिव प्रेमचन्द्र एवं राष्ट्रीय सचिव अतुल मिश्र ने बताया कि वर्षों से 7वें वेतन आयोग की संस्तुतियों पर सरकार ने कैडर पुनर्गठन नहीं किया है व वेतन विसंगतियां लम्बित पड़ी है। इतना ही नहीं रिक्त पदों पर नियमित भर्तियां एवं पदोन्नतियां लम्बित है, राज्यों में कई भत्तों की कटौती कर दी गयी है। आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारियों की भी अति दयनीय दशा है, वह 6, 7 हजार के वेतन में कैसे परिवार चलायेंगे।
उन्होंने बताया कि कई कर्मचारी परेशान होकर आत्महत्या करने को मजबूर होते जा रहे है। पुरानी पेंशन की बहाली न होने से एनपीएस वाले कर्मचारी जब रिटायर होंगे तो उन्हें दो रोटी भी मिलना मुश्किल हो जायेगी। वर्तमान परिवेश में महंगाई चरम सीमा पर है। कर्मचारी समाज इस महंगाई का दंश झेल नहीं पा रहा है। जो सरकार के द्वारा जुलाई में महंगाई भत्तों के किस्तों की घोषणा की जानी थी वह केन्द्र सरकार द्वारा नहीं की गई जो कि न्यायसंगत नहीं है और इससे कर्मचारी व उनका परिवार भुखमरी की कगार पर है।
उन्होंने बताया कि इप्सेफ ने प्रधानमंत्री से पुनः आग्रह किया है कि कर्मचारी सरकार के अभिन्न अंग है। सारा काम ग्रामीण स्तर तक वही करते हैं। इसलिए उनकी पीड़ा पर विशेष ध्यान दें, अन्यथा उनमें मेहनत से जनता की सेवा करने की क्षमता समाप्त होती जायेगी, क्योंकि वे मानसिक रूप से परेशान रहते है।
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