चुनौतीपूर्ण समय
दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत की मेजबानी में आयोजित पहला जी20 संसदीय अध्यक्षों का शिखर सम्मेलन (पी20) में रेखांकित किया गया कि किस प्रकार एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य के लिए सामूहिक लक्ष्यों को प्राप्त करने में हमारी संसदों की महत्वपूर्ण भूमिका है।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि संघर्षों और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन करते हुए अंतर्राष्ट्रीय शांति, समृद्धि और सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए उत्प्रेरक के रूप में प्रासंगिक मंचों पर संसदीय राजनयिक और परस्पर संवाद जारी रखेंगे। साथ ही यूरोपीय संसद की उपाध्यक्ष निकोला बीयर के साथ द्विपक्षीय वार्ता में लोकसभा अध्यक्ष ने यूरोपीय संसद में भारत के आंतरिक मामलों पर प्रस्ताव पेश किए जाने पर विरोध दर्ज कराया।
लोकसभा अध्यक्ष से कहा प्रत्येक देश और संसद संप्रभु है, दूसरों को उनके आंतरिक मामलों पर चर्चा नहीं करनी चाहिए। गौरतलब है कि जुलाई में, यूरोपीय संसद ने एक प्रस्ताव में भारत से मणिपुर में हिंसा को रोकने और धार्मिक अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए कार्रवाई करने का आह्वान किया था।
मणिपुर में मई की शुरुआत में हुई हिंसा की आग के परिणामस्वरूप 142 मौतें हुईं और हजारों लोग विस्थापित हुए। यूरोपीय संघ ने प्रस्ताव में इस स्थिति को धार्मिक कलह से प्रेरित माना। उस समय भी भारत ने इसे देश के अंदरुनी मामलों में दखल मानते हुए विरोध जताया था। हालांकि भारत-यूरोपीय संघ वाणिज्यिक व आर्थिक साझेदारी को अधिक विस्तार देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
भारत ने हमेशा यूरोपीय एकता का समर्थन किया है। यह भूमिका आज और भी महत्वपूर्ण हो गई है और एक मजबूत भारत-यूरोपीय संघ साझेदारी वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए मजबूत बहुपक्षीय संस्थानों और बहुपक्षीय प्रक्रियाओं के साथ अधिक संतुलित, अधिक लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को आकार देने में मदद कर सकती है।
चिंता की बात है कि चीन के साथ यूरोप के गहरे जुड़ाव का दौर रणनीतिक प्रतिस्पर्धा की धारणा को जन्म दे रहा है। बंदरगाहों और लॉजिस्टिक हब जैसी यूरोपीय रणनीतिक संपत्तियों में चीन के निवेश को लेकर चिंता है। चीन एक फोरम के तहत पूर्व मध्य और पूर्वी और दक्षिणी यूरोपीय देशों के एक समूह को आकर्षित कर रहा है।
इनमें से कई देश यूरोपीय संघ के सदस्य हैं। यूरोपीय संघ एक आर्थिक और राजनीतिक ब्लॉक के रूप में काम करता है। इनमें से 19 देश यूरो को अपनी आधिकारिक मुद्रा के रूप में उपयोग करते हैं, जबकि अन्य 9 सदस्य यूरो का उपयोग नहीं करते हैं।
अलबत्ता वैश्विक मामलों में यूरोपीय संघ कभी प्रभावशाली आवाज नहीं बन सका। ध्यान रहे यूरोप चुनौतीपूर्ण समय से गुजर रहा है और उसने भारत से सहयोग भी मांगा है। भारत के साथ यूरोपीय संसद के घनिष्ठ संबंध बने इसके लिए उसे अंदरुनी मामलों में दखल देने की औपनिवेशिक मानसिकता से उबरना होगा।
