नैनीताल नगर पालिका ईओ व कार्यदायी संस्था के निदेशक की 10 अक्टूबर को व्यक्तिगत पेशी
नैनीताल, अमृत विचार। हाईकोर्ट ने नैनीताल शहर समेत संपूर्ण उत्तराखंड में बंदरों व कुत्तों के बढ़ते आंतक से निजात दिलाने को दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने ईओ नगर पालिका नैनीताल द्वारा पूर्व में दिए आदेशों का पालन नहीं करने पर नाराजगी जताई।
साथ में कोर्ट ने कार्यदायी संस्था के निदेशक को अवमानना का दोषी मानते हुए नोटिस जारी किया है। ईओ व निदेशक को 10 अक्टूबर को कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने के आदेश दिए हैं । मामले की अगली सुनवाई 10 अक्टूबर की तिथि नियत की है। पूर्व में भी कोर्ट ने नगर पालिका के ईओ को अवमानना का नोटिस जारी किया था।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता गोपाल के वर्मा द्वारा कोर्ट को बताया गया कि ईओ व जिला प्रशाशन के द्वारा पूर्व में दिए गए आदेशों का पालन नहीं किया जा रहा है। इनके द्वारा आवारा कुत्तों को पकड़कर उनका बधियाकरण करके उन्हें फिर छोड़ दिया जा रहा है। जबकि कोर्ट ने पूर्व में भी आदेश दिया था कि इनके लिए स्थायी शेल्टर बनाया जाय इन्हें छोड़ा नहीं जाए। नगरपालिका व कार्यदायी संस्था ने आवारा कुत्तों को पकड़कर उनका बधियाकरण करके बिना कोर्ट की अनुमति के फिर से छोड़ दिया है।
नैनीताल निवासी गिरीश चन्द्र खोलिया ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि नैनीताल शहर में कुत्तों का आतंक बढ़ता ही जा रहा है। अभी तक नैनीताल में सैकड़ो लोगों को आवारा कुत्ते काट चुके हैं। पिछले कुछ सालों में प्रदेश में आवारा कुत्तों ने करीब 40 हजार से अधिक लोगों को काट चुके हैं। कुछ समय पहले कुत्तों का बधियाकरण भी किया गया था बावजूद इसके इनकी संख्या बढ़ती ही जा रही है। याचिकाकर्ता ने बंदरों और कुत्तों की बढ़ती संख्या पर रोक लगाने की गुहार लगाई है।
