पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल करने को लेकर गरमाई सियासत, बोले- संसद में उठाएंगे मुद्दा, जानें फायदे और नुक्सान
पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल करने की मांग को लेकर 1 अक्टूबर को एक लाख से ज्यादा कर्मचारियों ने दिल्ली के रामलीला मैदान में 'पेंशन शंखनाद महारैली' की और नई पेंशन स्कीम को लेकर विरोध जताया था।
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इस मामले में सियासत भी गरमाने लगी है। बता दें कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने भी पुरानी पेंशन स्कीम को वापस लागू करने की मांग करने लगा है। वहीं विपक्ष अब इस मुद्दे को संसद में उठाने की बात कर रहा है।
आपको जानना चाहिए कि पुरानी पेंशन स्कीम में ऐसा क्या था जो नई स्कीम में नहीं है। दरअसल, पुरानी स्कीम में सैलरी से कटौती नहीं होती थी, रिटायरमेंट पर आधी सैलरी मिलती थी बाकी जीवनभर आय के रूप में, जनरल प्रोविडेंट फंड की सुविधा, सरकारी खजाने से पेंशन, 6 महीने बाद महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी आदि फायदे मिलते थे।
वहीं नई पेंशन स्कीम में सैलरी से 10 फीसदी कटौती, पेंशन की रकम तय नहीं, जनरल प्रोविडेंट फंड की सुविधा नहीं, शेयर बाजार पर निर्भर, 6 महीने बाद महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी का प्रावधान नहीं यही कारण है कि कर्मचारी पुरानी पेंशन को बहाल करने की मांग कर रहे है। एनपीएस को साल 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने लागू किया था और मनमोहन सिंह की कांग्रेस सरकार में इसे जमीन पर उतारा गया।
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