बिहार में जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी होने के बाद पक्ष-विपक्ष का आया रिएक्शन, जानें किसने क्या कहा?
पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार सरकार ने सोमवार को बहुप्रतीक्षित जाति आधारित गणना के निष्कर्ष जारी किए, जिसमें खुलासा हुआ कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) राज्य की कुल आबादी का 63 प्रतिशत है।
बिहार सरकार की तरफ से विकास आयुक्त विवेक सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। वह मुख्य सचिव के प्रभार में हैं। उन्होंने कहा कि बिहार में सवर्णों की तादाद 15.52 फीसदी, भूमिहार की आबादी 2.86 फीसदी, ब्रहाणों की आबादी 3.66 फीसदी, कुर्मी की जनसंख्या 2.87 फीसदी, मुसहर की आबादी 3 फीसदी, यादवों की आबादी 14 फीसदी और राजपूत की आबादी 3.45 फीसदी है।
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जातिगत गणना के आकड़ों पर आया रिएक्शन, जानें किसने क्या कहा?
जातिगत गणना के आकड़े जारी होने के बाद केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जातिगत गणना हास्यपद है आगे कहा कि जातीय जनगणना बिहार की गरीब जनता में भ्रम फैलाने के सिवा कुछ नहीं है। नीतीश कुमार के 15 साल और लालू यादव के 18 साल के अपने कार्यकाल का रिपोर्ट कार्ड देना चाहिए था कि उन्होंने अपने कार्यकाल में गरीबों का क्या उद्धार किया, कितने लोगों को नौकरी दी। यह रिपोर्ट भ्रम के अलावा कुछ नहीं।"
आम आदमी पार्टी सांसद संजय सिंह ने कहा कि पूरी देश में जातीय जनगणना होनी चाहिए, हमें ये पता होना चाहिए कि जातियों की संख्या कितनी है। साथ ही जातीय जनगणना को पूरे देश का भविष्य बताया।
आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने कहा कि सरकार को अब सुनिश्चित करना चाहिए कि जिसकी जितनी संख्या, उसकी उतनी हिस्सेदारी हो। केंद्र में 2024 में जब हमारी सरकार बनेगी तब पूरे देश में जातिगत जनगणना करवायेंगे और दलित, मुस्लिम, पिछड़ा और अति पिछड़ा विरोधी भाजपा को सता से बेदखल कर देंगे।
जातीगत जनगणना के आकड़े जारी होने के बाद कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी। कहा कि बिहार सरकार को जातीय गणना के लिए बधाई। साथ ही मध्य प्रदेश में सरकार बनने के बाद जातीय गणना कराने का दावा किया।
वहीं बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी ने भी जातीगत जनगणना के आकड़े जारी होने के बाद अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्हों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर कहा कि 'जातीय गणना कराने का निर्णय बीजेपी सरकार ने किया था। आज बिहार सरकार ने आंकड़ा सार्वजनिक किया है। बीजेपी आंकड़ों का अध्ययन कर रही है।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बिहार में जाति आधारित गणना के आंकड़े सामने आने के बाद सोमवार को कहा कि देश के जातिगत आंकड़े जानना जरूरी है और जिनकी जितनी आबादी है, उन्हें उनका उतना हक मिलना चाहिए। उन्होंने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘बिहार की जातिगत जनगणना से पता चला है कि वहां ओबीसी, एससी और एसटी 84 प्रतिशत हैं।
केंद्र सरकार के 90 सचिवों में से सिर्फ़ 3 ओबीसी हैं, जो भारत का मात्र 5 प्रतिशत बजट संभालते हैं!’’ राहुल गांधी ने कहा, ‘‘इसलिए, भारत के जातिगत आंकड़े जानना ज़रूरी है। जितनी आबादी, उतना हक़ - ये हमारा प्रण है।’’ बिहार सरकार ने सोमवार को बहुप्रतीक्षित जाति आधारित गणना के निष्कर्ष जारी किए, जिसमें खुलासा हुआ कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) राज्य की कुल आबादी का 63 प्रतिशत हैं।
बिहार के विकास आयुक्त विवेक सिंह द्वारा यहां जारी आंकड़ों के अनुसार, राज्य की कुल जनसंख्या 13.07 करोड़ से कुछ अधिक है, जिसमें से 36 प्रतिशत के साथ ईबीसी सबसे बड़ा सामाजिक वर्ग है। इसके बाद ओबीसी 27.13 प्रतिशत हैं।
जनता दल (यूनाइटेड) ने बिहार में ‘जाति आधारित सर्वे’ की रिपोर्ट का सोमवार को स्वागत किया और केंद्र से इसी तरह पूरे देश में जाति आधारित सर्वे करा कर प्रत्येक नागरिक का न्यायपूर्ण विकास सुनिश्चित करने की मांग की। बिहार में सत्तारूढ इस पार्टी ने राज्य की जाति आधारित सर्वे रिपोर्ट जारी होने के बाद यह मांग की है।
पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और बिहार विधान परिषद के सदस्य अफाक अहमद खान ने यहां जारी एक बयान में कहा कि यह सर्वे रिपोर्ट ‘बिहार सरकार को सबके विकास पर ध्यान देने में सहायक होगी।’ उन्होंने केंद्र सरकार से भी इसी तरह का राष्ट्रव्यापी सर्वे कराने की अपील की है ताकि प्रत्येक नागरिक का ‘न्यायपूर्वक विकास’सुनिश्चित किया जा सके। बयान में कहा गया है कि पार्टी के नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार का यह सपना है कि सभी नागरिकों का न्यायपूर्वक विकास हो।
पटना में बिहार सरकार की ओर से विकास आयुक्त विवेक कुमार सिंह ने आज ही वहां सचिवालय में एक संवाददाता सम्मेलन में बिहार जातिगत सर्वेक्षण के आंकड़े जारी किये । बिहार जातीय सर्वे रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश की कुल जनसंख्या में 36.01 प्रतिशत अत्यंत पिछड़ी जातियों के, 27.12 प्रतिशत पिछड़ा वर्ग की जातियों के, 19.65 प्रतिशत अनुसूचित जातियों के और 1.68 प्रतिशत अनुसूचित जनजातियों तथा 15.52 प्रतिशत अनारक्षित वर्ग की जाति के लोग हैं।
गौरतलब है कि जनता दल (यू) भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का लम्बे समय तक चला साथ छोड़ कर अब बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (आरेजीडी) के साथ मिल कर सरकार चला रहा है।
वहीं कांग्रेस ने बिहार की जाति आधारित गणना के आंकड़े जारी होने का स्वागत करते हुए सोमवार को कहा कि केंद्र सरकार को राष्ट्रीय स्तर पर जल्द से जल्द इस तरह की गणना करानी चाहिए। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि सामाजिक सशक्तिकरण कार्यक्रमों को मजबूती प्रदान करने और सामाजिक न्याय को आगे बढ़ाने के लिए ऐसी जनगणना आवश्यक हो गई है।
उन्होंने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘बिहार सरकार ने राज्य में कराए गए जाति आधारित सर्वे के नतीजे जारी कर दिए हैं। इस पहल का स्वागत करते हुए और कांग्रेस सरकारों द्वारा कर्नाटक जैसे अन्य राज्यों में इसी तरह के पहले के सर्वेक्षणों को याद करते हुए, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अपनी मांग दोहराती है कि केंद्र सरकार जल्द से जल्द राष्ट्रीय जाति जनगणना कराए।’’ रमेश ने कहा, ‘‘संप्रग-2 सरकार ने वास्तव में इस जनगणना के कार्य को पूरा कर लिया था, लेकिन इसके नतीजे मोदी सरकार ने जारी नहीं किए।
सामाजिक सशक्तिकरण कार्यक्रमों को मज़बूती प्रदान करने और सामाजिक न्याय को आगे बढ़ाने के लिए ऐसी जनगणना आवश्यक हो गई है।’’ बिहार सरकार ने सोमवार को बहुप्रतीक्षित जाति आधारित गणना के निष्कर्ष जारी किए, जिसमें खुलासा हुआ कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) राज्य की कुल आबादी का 63 प्रतिशत हैं।
बिहार के विकास आयुक्त विवेक सिंह द्वारा यहां जारी आंकड़ों के अनुसार, राज्य की कुल जनसंख्या 13.07 करोड़ से कुछ अधिक है, जिसमें से 36 प्रतिशत के साथ ईबीसी सबसे बड़ा सामाजिक वर्ग है। इसके बाद ओबीसी 27.13 प्रतिशत हैं।
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