कानपुर संसदीय क्षेत्र-टिकट रिपीट होने की अटकलों का बाजार गर्म, 75 के फेर से बच सकते हैं सत्यदेव पचौरी

Amrit Vichar Network
Published By Nitesh Mishra
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कानपुर संसदीय क्षेत्र-टिकट रिपीट होने की अटकलों का बाजार गर्म।

कानपुर संसदीय क्षेत्र-टिकट रिपीट होने की अटकलों का बाजार गर्म हो गया। पचहत्तर के फेर से सत्यदेव पचौरी बच सकते हैं।

कानपुर, अमृत विचार। 99 के फेर में फंसना तो जगजाहिर मुहावरा है पर भाजपा की राजनीति 75 का फेर जुमला आजकल चर्चा में है। इस 75 के फेर में भाजपा के सत्यदेव पचौरी समेत 17 सांसद आ गए थे पर अब 2024 के लोकसभा चुनाव में उनकी टिकट को लेकर संशय के बादल छटने लगे हैं। पार्टी नेतृत्व से मिले संकेत के मुताबिक अबकी जिताऊ फार्मूला ही काम करेगा। प्रत्याशी की आयु चाहे 75 हो या उससे कम। टिकट तय होने तक यह फार्मूला चला कानपुर संसदीय क्षेत्र से सत्यदेव पचौरी एक बार फिर मैदान में आ सकते हैं। 

उच्चपदस्थ सूत्र के मुताबिक विभिन्न स्तर पर हुए सर्वे के बाद सांसदों को तैयारी करने को कहा गया है। पचौरी के उत्साह की शायद यही वजह हो सकती है। वह बूथस्तरीय सांगठनिक ढांचा तैयार करने में जुटे हैं। महिला वोटरों पर भी उनका फोकस है।

कानपुर नगर संसदीय क्षेत्र की करवट में अकबरपुर क्षेत्र से पौने तीन लाख वोटों से 2019 का लोकसभा चुनाव जीते देवेंद्र सिंह भोले को अटकलों का बाजार ठंडा पड़ चुका है। भोले 2014 से लगातार सांसद हैं और उनकी जीत का अंतर काफी कुछ बढ़ा है। हालांकि आयु के हिसाब से भोले 75 के फेर से बाहर बताए जाते हैं पर उनकी सीट पर भाजपा के ही दो दिग्गजों की नजर है।

एक समय राजनीतिक हल्कों में चर्चा थी कि कानपुर सीट से कोई अन्य प्रत्याशी लड़ाया जा सकता है। इसके पीछे सांसद पचौरी की आयु का आड़े आना बताया जाता है। वह 75 में प्रवेश कर चुके हैं। यहां से उनके राजनीतिक प्रतिस्पर्धी विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना का नाम तेजी से उछला था। उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक का आए दिन कानपुर दौरा ने भी उनके यहां से लड़ने की अटकलों को हवा दे रहा था। बताया जाता है कि 75 के फेर के बाहर से निकलने के बाद समीकरण बदल भी सकते हैं।

सांसदों ने अपने-अपने क्षेत्र में सक्रियता बढ़ा दी है। नयी पीढ़ी की भागीदारी के लिए 75 साल वालों को रिटायर करने का फार्मूला बनाया गया था। अब विपक्षी गठबंधन इंडिया के कारण पार्टी को इस फार्मूले पर बैकफुट में जाना पड़ रहा है। 

बताया जाता है कि ऐसे करीब 17 सांसद हैं। 2019 में पार्टी ने 75 वर्ष वालों को रिटायर कर नये को मौका देने का फार्मूला बनाया था। इनमें यूपी से पांच सांसद आते हैं। आपको बता दें कि इसी फार्मूले के चलते भाजपा के दिग्गज नेता भी विश्राम कर रहे हैं।

अबकी चुनाव में आयु सीमा के मुहाने पर खड़े सांसदों के प्रदर्शन, क्षमता और स्थानीय व जातीय समीकरण पर मंथन के बाद निर्णय लिया जाएगा। बताते हैं कि प्रत्याशिता को लेकर सर्वे की कसौटी पर पचौरी के रिपीट होने की उम्मीद जतायी जा रही है।

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