तनावपूर्ण राजनयिक संबंधों से भारत, कनाडा के व्यापारिक व निवेश संबंध प्रभावित नहीं होंगे: विशेषज्ञ

Amrit Vichar Network
Published By Ashpreet
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नई दिल्ली। भारत और कनाडा के बीच तनावपूर्ण राजनयिक संबंधों का असर दोनों देशों के बीच व्यापार तथा निवेश पर पड़ने की संभावना नहीं है क्योंकि आर्थिक संबंध व्यावसायिक विचारों से प्रेरित होते हैं। विशेषज्ञों ने यह बात कही।

भारत और कनाडा दोनों अलग-अलग उत्पादों का व्यापार करते हैं। दोनों की समान उत्पादों पर प्रतिस्पर्धा नहीं हैं। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) के सह-संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा,  इसलिए, व्यापार संबंध बढ़ते रहेंगे और दिन-प्रतिदिन की घटनाओं से प्रभावित नहीं होंगे।

कुछ राजनीतिक घटनाक्रमों के कारण दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर वार्ता रुक गई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 10 सितंबर को कनाडा के अपने समकक्ष जस्टिन ट्रूडो को कनाडा में चरमपंथी तत्वों की निरंतर भारत विरोधी गतिविधियों को लेकर भारत की चिंताओं से अवगत कराया था जो अलगाववाद को बढ़ावा दे रहे हैं, देश के राजनयिकों के खिलाफ हिंसा भड़का रहे हैं और वहां भारतीय समुदाय को धमकियां दे रहे हैं।

कनाडा में खालिस्तानी अलगाववादी नेता की जून में हुई हत्या के मामले में भारत के संभावित संबंध के आरोपों का हवाला देकर एक भारतीय अधिकारी को कनाडा से निष्कासित किए जाने के कुछ ही घंटे बाद भारत ने एक कनाडाई राजनयिक को निष्कासित करने की मंगलवार को घोषणा की।

श्रीवास्तव ने कहा कि इन हालिया घटनाओं से दोनों देशों के लोगों के बीच संबंधों, व्यापार तथा आर्थिक संबंधों पर असर पड़ने की संभावना नहीं है। भारत और कनाडा के बीच द्विपक्षीय व्यापार हाल के वर्षों में उल्लेखनीय रूप से बढ़ा है, जो 2022-23 में 8.16 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया।

कनाडा को भारत के निर्यात (4.1 अरब अमेरिकी डॉलर) में दवाएं, रत्न, आभूषण, कपड़ा तथा यंत्र शामिल हैं, जबकि कनाडा के भारत को निर्यात (4.06 अरब अमेरिकी डॉलर) में दालें, लकड़ी, लुगदी, कागज तथा खनन उत्पाद शामिल हैं।

निवेश पर उन्होंने कहा कि भारत के बड़े बाजार तथा निवेश पर अच्छे मुनाफे के चलते कनाडाई पेंशन कोष भारत में निवेश जारी रखेंगे। मुंबई स्थित निर्यातक एवं टेक्नोक्राफ्ट इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष शरद कुमार सराफ ने कहा कि भारत और कनाडा के रिश्तों की मौजूदा स्थिति निश्चित रूप से चिंता का कारण है।

सराफ ने कहा, ‘‘ हालांकि द्विपक्षीय व्यापार पूरी तरह से व्यावसायिक विचारों से प्रेरित है। राजनीतिक उथल-पुथल की प्रकृति अस्थायी है और इसे व्यापार संबंधों को प्रभावित करने का कारण नहीं बनाया जाना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि चीन के साथ भी भारत के रिश्ते तल्ख हैं लेकिन द्विपक्षीय व्यापार लगातार अच्छा बना हुआ है।

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