प्रदूषित हवा

Amrit Vichar Network
Published By Vikas Babu
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तकनीकी और संसाधनों से देश को उन्नति की राह मिलती है। आज दुनिया में वही देश आगे हैं जिन्होंने न केवल वैज्ञानिक संसाधनों को समझा, बल्कि उनका बखूबी प्रयोग भी किया है। भारत भी विज्ञान और आधुनिकता की नित नई ऊंचाइयों को छू रहा है। हाल ही में हम चंद्रमा पर अपना यान प्रक्षेपित करने में सफल रहे, जो एक नया कीर्तिमान है। 

यह अच्छी बात है कि देश विज्ञान के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित कर रहा है, लेकिन हम प्राकृतिक तौर पर पिछड़ते जा रहे हैं। जहां भारत को कभी प्राकृतिक हावो हवा से परिपूर्ण और स्वास्थप्रद बताया जाता था, वहीं आज भारत की हवा बेहद दूषित हो चुकी है। हालांकि उसके पीछे भी भौतिक संसाधनों का बेतहाशा प्रयोग महत्वपूर्ण कारक है। 

ताजा सर्वेक्षण के मुताबिक वायु प्रदूषण की वजह से भारतीयों की जिंदगी पांच से छह साल कम हो रही है। यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो में एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट की ओर से जारी एयर क्वॉलिटी लाइफ इंडेक्स (एक्यूएलआई) की मानें तो भारत में 130 करोड़ लोग ऐसे स्थानों पर रहते हैं जहां प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक से अधिक है।

 इसमें यह भी पाया गया कि देश की 67.4 प्रतिशत आबादी ऐसे क्षेत्रों में रहती है जहां देश के अपने मानक से चालीस जीएम 3 से अधिक प्रदूषण है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वायु प्रदूषण से दुनियाभर के लोगों के जीवन पर पड़ रहे प्रभाव का तीन चौथाई हिस्सा सिर्फ छह देशों-बांग्लादेश, भारत, पाकिस्तान, चीन, नाइजीरिया और इंडोनेशिया में है। 

एक्यूएलआई के मुताबिक दिल्ली दुनिया में सबसे प्रदूषित शहर है और वायु गुणवत्ता में सुधार की कवायद नहीं कि गई तो यहां के 1.8 करोड़ लोगों की जिंदगी औसतन 11 से 12 साल तक कम हो सकती है। दिल्ली के बाद दूसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश देश में सबसे प्रदूषित राज्य है। यूपी के सबसे प्रदूषित शहरों में नोएडा, गाजियाबाद, मथुरा, उन्नाव, लखनऊ और कानपुर शामिल है। 

यूपी के बाद सबसे बुरा हाल बिहार, पंजाब और हरियाणा का है जहां दिन प्रतिदिन वायु गुणवत्ता खराब होती जा रही है। वायु प्रदूषण पर आई इस रिपोर्ट से चिंता की स्थिति उत्पन्न हो रही है। एक ओर हम दुनिया को योग की शिक्षा देते आए हैं, दूसरी ओर हम प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करने में असफल हो रहे हैं। देश में वायु की गुणवत्ता में सुधार के लिए सरकारों के साथ-साथ देश की जनता को भी अपना दायित्व निभाना चाहिए। इसके अलवा हमको उन कारणों को खोजकर रोकथाम करनी होगी जो वायु के प्रदूषित होने में सहायक हैं।