सतही राजनीति

Amrit Vichar Network
Published By Vikas Babu
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देश सदैव सहकारिता व सहयोग से चलता है। दुनिया में चाहें कोई भी देश हो उसकी प्रगति में पक्ष व विपक्ष दोनों की सहभागिता रहती है। विपक्ष का पूर्ण अधिकार है कि सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए, लेकिन यह सवाल या आपत्ति वाजिब होने चाहिए। यदि सवाल गैरवाजिब हैं तो यह द्वेषपूर्ण राजनीति का रूप ले लेती है।

बीते कुछ वर्षों में भारत का विपक्ष कब सरकार का विरोध करते-करते देश का विरोध कर बैठता है, इसका भान उसको स्वयं भी नहीं रह जाता है। एक बार फिर विपक्ष खासकर कांग्रेस सरकार पर हमलावर है। गौरतलब है कि 23 अगस्त को हमारे वैज्ञानिकों के पुरुषार्थ के बल पर भारत ने इतिहास रचते हुए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलता पूर्वक एक यान को प्रक्षेपित किया। ऐसा करने वाला भारत विश्व का पहला देश बन गया।

पूरा देश जहां इस उपलब्धि पर गौरवान्वित होते हुए जश्न मना रहा है, दूसरी ओर देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस चंद्रयान के लैंडिग बाद प्रधानमंत्री के संबोधन और झंडा लहराने को लेकर आलोचना पर उतर आई। उसका कहना कि प्रधानमंत्री इसका श्रेय वैज्ञानिकों को न देकर खुद लेना चाहते हैं। 

अब यह सवाल उठता है कि क्या देश के प्रधानमंत्री को देश की उपलब्धि पर नहीं बोलना चाहिए था, क्या देश के वैज्ञानिकों की हौसला अफजाई करते हुए उन्हें साधुवाद नहीं देना चाहिए? यही नहीं विपक्ष इतने भर में चुप नहीं रहा, उसने चंद्रयान लैंडिग के स्थान को ‘शिव शक्ति प्वाइंट’ और 2019 में चंद्रयान-2 के क्रैशिंग वाले स्थान को ‘तिरंगा प्वाइंट’ नाम दिए जाने पर भी सरकार से सवाल कर रहा है। कांग्रेस ने सवाल उठाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री चांद को क्या अपनी जगह समझते हैं जो उसके स्थानों का नामकरण कर रहे हैं।

कांग्रेस का यह रवैया सदैव से ही उसके लिए हानिकारक रहा है। व्यक्ति विशेष के विरोध में वह कई बार देश हितैषी नीतियों का विरोध कर जाती है। सर्जिकल स्ट्राइक के समय भी वह इसी तरह सरकार से सबूत-सबूत मांगते हुए देश की सेना के पराक्रम पर प्रश्नचिन्ह लगा रही थी। जहां तक नामकरण की बात है तो कांग्रेस शायद भूल जाती है कि कैसे उसने अपने शासन काल में देश के विभिन्न स्थानों व संस्थानों के नाम एक ही परिवार के सदस्यों के नाम पर रखे थे जो अभी भी प्रचलित हैं।

यही नहीं कांग्रेस के समय ही वर्ष 2008 में चंद्रयान भेजा गया था तो उस समय यान के क्रैश लैंडिग के स्थान को कांग्रेस ने जवाहर प्वांइट नाम रखा था तब उसे यह ज्ञात क्यों नहीं हुआ कि चांद उसका नहीं है। कांग्रेस को समझना चाहिए कि देश की उपलब्धि पर इस तरह सतही राजनीति न तो देश के लिए और न ही उसके खुद के लिए लाभप्रद है, क्योंकि इस तरह की राजनीति से देश विरोधी ताकतों को सर उठाने का अवसर मिल जाता है।