सुलतानपुर : रहस्यों से भरा है भिदुरा गांव, यहां निकलती हैं प्राचीन मूर्तियां
जयसिंहपुर/ सुलतानपुर, अमृत विचार। प्राचीन युग की परंपरा, विरासत व कारीगरी के साथ आस्था के प्रतीक देवों की मूर्तियां कई स्थानों पर पाई जा रही है। जरूरत है कि उनकी सही जानकारी कर प्राचीन युग की धरोहर को संजोकर रखा जाय। तहसील क्षेत्र के मुईली चांदपुर संपर्क मार्ग से करीब एक किलोमीटर दूर पश्चिम में स्थित भिदुरा गांव रहस्यों से भरा है।
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यह गांव टीले पर बसा है। देखने से प्रतीत होता है कि पुराने जमाने में किसी की हवेली रही होगी। आज भी ग्रामीण जब नए निर्माण के लिए खुदाई करते हैं तो नीचे से कुछ अजीब नक्काशी किए हुए पत्थर निकलते हैं। वहीं गांव के दक्षिण तरफ बीसों बीघे में फैले बाग में सदियों पुराना हनुमान मंदिर है। बुजुर्ग बताते हैं कि हम लोगों को बुजुर्गों से मिली जानकारी के मुताबिक हनुमान जी का मंदिर खुले में था। मूर्ति की स्थापना किसने की, नहीं पता। बाद में ग्रामीणों ने छप्पर रखा। धीरे धीरे मंदिर खपरैल हुआ। आज पक्का मंदिर बना हुआ है। हनुमान मंदिर तो आज भी ऊंचाई पर है, मगर अब आस पास की जमीन काफी हद तक समतल हो गई है। वहीं, हनुमान मंदिर से दक्षिण तरफ जंगल में प्राचीन शिवलिंग स्थापित है तो वहीं उत्तरी तरफ भी शिवलिंग है। जिसकी स्थापना के कोई साक्ष्य नहीं है। जंगल के आस पास की जमीन जब धीरे धीरे समतल होती गई तो उसमें प्राचीन खंडित मूर्ति निकलती रही। ग्रामीण उन्हें उठाकर पेड़ के नीचे रखते गए। साथ ही उन मूर्तियों की पूजा अर्चना भी करते हैं। गांव में भी जब खुदाई के दौरान कोई मूर्ति निकलती है तो ग्रामीण बाग में लाकर रख देते हैं।
गांव के लोगों की जुड़ी है आस्था
करीब 20 बीघे बाग में फैले स्थापित देवताओं की ग्रामीण नित्य प्रति पूजा करते हैं। विशेष अवसर पर महिलाएं कड़ाही भी देती हैं। साथ ही वर्ष में दो बार मेले का भी आयोजन होता है। ऐसी मान्यता है कि जो भी व्यक्ति वहां जाकर मन्नत मांगता है, उसकी मनोकामना पूरी होती है। मनोकामना पूर्ण होने पर लोग कुछ न कुछ निर्माण कार्य भी करवा देते हैं।
मंगलवार को होती हैं ग्रामीणों की भीड़
प्रत्येक मंगलवार को श्रद्धालुओं की भीड़ दर्शन को आती है। श्रद्धालु भगवान शिव के साथ हनुमान जी की दर्शन कर प्राचीन काल की मूर्तियों को भी देखते हैं। कयास लगाते हैं कि यह मूर्ति किस युग की धरोहर है। बढ़ती श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए ग्राम प्रधान द्वारा बाग में रास्ते के लिए इंटरलाकिंग सड़क बनवा दी गई। साथ ही हैंडपंप भी लगा है। प्राचीन समय के कुएं का जीर्णोंद्धार भी करा दिया गया है। ग्रामीण बताते हैं कि पहले जंगल था। चोर व जंगली जानवरों के डर से कोई इधर आता नही था। बाद में सैकड़ों वर्ष पहले एक पुजारी जी आए थे। उसके बाद लगातार पुजारी आते रहे। सभी पुजारियों की समाधि भी यही बनी है। बीते 10 वर्षों से अब कोई पुजारी नहीं है। गांव के ही एक लोग के पास हनुमान मंदिर की चाबी है, जो प्रत्येक मंगलवार को दिन भर रहते हैं। बाकी दिन सुबह शाम आकर पूजा अर्चना करते हैं।
डीएम एसडीएम को ज्ञापन दे प्राचीन मूर्तियां के जांच की मांग
वार्ड नं 17 के जिला पंचायत सदस्य प्रतिनिधि डा. सूरज ने बुधवार को डीएम जसजीत कौर, एसडीएम जयसिंहपुर वंदना पांडेय को ज्ञापन सौंपा। प्राचीन खंडित मूर्तियों के पुरातत्व विभाग से जांच की मांग की है। उन्होंने बताया कि यह खंडित मूर्तियां शायद किसी और युग की धरोहर हो तो इस धरोहर को संजोकर रखा जाय। डीएम ने पुरातत्व विभाग से जांच कराने का आश्वासन दिया है। वहीं एसडीएम वंदना पांडेय ने स्वयं निरीक्षण की बात कही है।
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