पंजाब: किसानों और पुलिस के बीच झड़प में अनेक घायल, एक किसान की मौत

 पंजाब: किसानों और पुलिस के बीच झड़प में अनेक घायल, एक किसान की मौत

संगरूर। पंजाब के संगरूर जिले के लोंगोवाल में आंदोलन कर रहे किसानों और पुलिस में हुई झड़प में अनेक पुलिसकर्मी और किसान घायल हो गये। घायलों में से एक किसान की बाद में मौत हो गई। मृतक किसान की शिनाख्त मंडेर गांव निवासी प्रीतम सिंह के रूप में की गई है।

भारतीय किसान यूनियन (आज़ाद) के नेता जसवीर सिंह मेदेवास ने बताया कि प्रीतम सिंह सुबह से ही आंदोलन में थे। किसानों के लोंगोवाल से बड़बड़ मार्च के दौरान पुलिस ने उन्हें रोकने का प्रयास किया तथा विफल रहने पर बल प्रयोग करना पड़ा। लाठीचार्ज में प्रीतम सिंह समेत अनेक किसान गम्भीर रूप से घायल हो गए।

प्रीतम सिंह को तुरंत संगरूर अस्पताल ले ज़ाया गया लेकिन हालत नाज़ुक होने पर उन्हें पटियाला रैफर किया गया जहां किसान ने दम तोड़ दिया। श्री मेदेवास ने प्रीतम सिंह की मौत के लिये सरकार को पूरी तरह से ज़िम्मेदार ठहराया है। इस घटना में हुये घायलों में सुनाम सिटी थाना प्रभारी दीपइंदर सिंह भी शामिल हैं।

उनके साथ चल रहे पुलिसकर्मियों का दावा है कि किसानों ने थाना प्रभारी पर ट्रैक्टर चढ़ा दिया जिसमें वह गम्भीर रूप से घायल हो गये। इस घटना के बाद से किसानों और पुलिस में तनाव बना हुआ है। आज सुबह बाढ़ से फसलों का नुकसान झेलने वाले किसान और मजदूर को मुआवजे की मांग को लेकर मंगलवार (22 अगस्त) से चंडीगढ़ में 16 किसान संगठनों द्वारा आयोजित स्थायी मार्च‘ में भाग लेने के लिये आगे बढ़े।

इससे पहले पुलिस ने क्षेत्र के किसान नेताओं को गिरफ्तार करने के लिए रविवार देर रात तक छापामारी की। हालाँकि कई किसान नेता छापामारी की आशंका को भाँपते हुए पहले ही सुरक्षित ठिकानों पर पहुँच गए। पुलिस ने किसानों के चंडीगढ़ मार्च को रोकने के लिये लोंगोवाल, नामोल और और मेदेवास में नाकेबंदी की थी। किसाना नेता सवीर सिंह और हैप्पी नमोल का कहना है कि किसान बारिश और बाढ़ के कारण फसलों को हुये नुकसान के लिये मुआवजे की मांग कर रहे हैं।

उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार किसानों को रोकने और उन्हें गिरफ्तार कर लोकतंत्र की हत्या कर रही है। उन्होंने कहा कि 16 किसान संगठन मिलकर मुआवजे की मांग को लेकर संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन आम आदमी पार्टी सरकार का भी पिछली सरकारों की तरह रवैया है जिसका उसे भी कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल की खमियाजा भुगतना पड़ेगा।

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