बरेली: हाय रे भ्रष्ट सिस्टम... 25 से 30 साल की नवविवाहिताओं को भी विधवा पेंशन, जानिए मामला
गांव गोठा खंडुआ में तहसील की टीम कीजांच में जीवित मिले 26 महिलाओं के पति, फिर भी साल भर से ज्यादा समय से ले रही है पेंशन
बरेली/आंवला, अमृत विचार। सरकारी सिस्टम का क्या हाल हो चुका है, इसकी पुष्टि शुक्रवार को गांव गोठा खंडुआ में जांच के दौरान हो गई। नायब तहसीलदार शोभित चौधरी की अगुवाई में टीम जांच करने पहुंची तो 26 महिलाओं के पति के जीवित होने के बावजूद विधवा पेंशन लेने की पुष्टि हो गई। दिलचस्प है कि ये सभी महिलाएं 25 से 30 साल उम्र की हैं। किसी की शादी साल दो साल पहले तो किसी की सात-आठ साल पहले हुई है। गांव में साठ से ज्यादा महिलाओं के इसी तरह विधवा पेंशन लेने की शिकायत की गई है, लेकिन जांच उन्हीं की हुई है जिनके नामों की सूची दी गई थी।
नायब तहसीलदार शोभित चौधरी ने सूची के आधार पर एक-एक कर विधवा पेंशन की सभी 26 लाभार्थियों के घर जाकर पूछताछ की। इस जांच में पता चला कि सभी महिलाओं के पति जीवित हैं। महिलाओं ने बताया कि उनमें से किसी के खाते में आठ-दस महीने तो किसी के खाते में साल भर से ज्यादा समय से पैसा आ रहा है। उन्होंने बताया कि उनमें से एक भी महिला ने विधवा पेंशन के लिए आवेदन नहीं किया था, न ही कोई प्रमाणपत्र दिया है। कोई उनका सत्यापन करने के लिए भी उनके घर नहीं आया। अचानक खाते में पैसे आने शुरू हो गए तो मान लिया कि किसी योजना के तहत सरकार पैसा दे रही होगी।
शुक्रवार को हुई जांच में विधवा पेंशन की कई लाभार्थियों की जाति और पते भी फर्जी होने की पुष्टि हुई। नायब तहसीलदार ने बताया कि उच्चाधाकारियों से की गई शिकायत में शामिल सूची के आधार पर फिलहाल जांच की गई है। इसमें सभी 26 महिलाओं के पतियों के जीवित होने की पुष्टि हुई है। जल्द ही अपनी रिपोर्ट तैयार कर वे उच्चाधिकारियों को भेज देंगे।
... तो क्या खुद सरकारी सिस्टम ही कर रहा है योजनाओं में लूटपाट
रामनगर ब्लॉक के गांव गोठा खंडुआ में 60 महिलाओं का विधवा पेंशन का लाभार्थी होना दुर्लभ किस्म का केस है। ऐसे में जबकि जिले भर में विधवा पेंशन के लिए चक्कर काटने वाली पात्र महिलाओं की भरमार हो, एक ही गांव में लाभार्थियों की इतनी संख्या को अफसर भी हैरतअंगेज मान रहे हैं।
विधवा पेंशन की मंजूरी की प्रक्रिया कई विभागों से गुजरते हुए पूरी होती है, इसलिए यह शक गहरा रहा है कि सरकारी कर्मचारियों का ही कोई बड़ा नेटवर्क इस फर्जीवाड़े में शामिल है। बता दें कि आय और मृत्यु प्रमाण पत्र में ग्राम प्रधान और राजस्व विभाग की भूमिका होती है तो ऑनलाइन आवेदन ब्लॉक के जरिए आगे बढ़ता है। सत्यापन लेखपाल को करना होता है। इसके अलावा पात्रता की भी जांच होती है। लाभार्थियों का वार्षिक सत्यापन भी होता है। जाहिर है कि यह सब करना किसी एक दलाल के बस की बात नहीं है।
महिलाओं की सफाई- प्रधान ने कहा था सरकार दे रही है तो तुम्हें क्या दिक्कत
गोठा खंडुआ में विधवा पेंशन ले रही महिलाओं का कहना है कि उनके खातों में जब अचानक पैसे आने शुरू हुए तो वह यही नहीं समझ पाईं कि ये पैसा कौन और क्यों भेज रहा है। पहले उन्होंने बैंक में बात की, फिर ग्राम प्रधान को बताया। महिलाओं का कहना है कि ग्राम प्रधान ने भी उन्हें जानकारी नहीं दी कि यह पैसा विधवा पेंशन का है। सिर्फ इतना कहा कि सरकार भेज रही है तो तुम्हें दिक्कत क्या है। चुपचाप रख लो। जांच टीम के सामने भी महिलाओं ने इस बात से इन्कार किया कि उन्हें जानकारी थी कि उनके खातों में आया पैसा विधवा पेंशन का है।
फर्जी लाभार्थियों के विधवा पेंशन लेने के मामले में अभी जांच रिपोर्ट नहीं मिली है। रिपोर्ट मिलने के बाद और गहनता से जांच कराई जाएगी--- गोविंद मौर्य, एसडीएम, आंवला।
यह भी पढ़ें- बरेली: बिन पानी की मछली की तरह सत्ता के लिए तड़प रहे हैं अखिलेश- डिप्टी सीएम
