शाहजहांपुर: आदेश की कॉपी हुई वायरल तो बैकफुट पर आए डीएम, बोले- मंशा ऐसी नहीं थी...होगा बदलाव

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Published By Vikas Babu
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शाहजहांपुर, अमृत विचार। डीएम उमेश प्रताप सिंह का एक आदेश इन दिनों चर्चा का विषय बन गया है। दरअसल, डीएम ने लिखित आदेश दिया कि आईजीआरएस पोर्टल पर आने वाली शिकायतों को शत प्रतिशत न निस्तारण किया जाए, ऐसा नहीं करने वाले संबंधित अधिकारियों को पुलिस अभिरक्षा में लेकर मेरे (डीएम यानी अधोहस्ताक्षरी के) सामने पेश किया जाए।

यह आदेश सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद डीएम ने कहा है कि हठधर्मिता दिखाने वाले अधिकारियों के लिए आदेश था, लेकिन इस आदेश में बदलाव किया जाएगा। मकसद सिर्फ आईजीआरएस पर आने वाले शिकायतों का शत प्रतिशत निस्तारण कराना है। हालांकि बुधवार देर शाम तक संशोधित आदेश जारी नहीं किया गया है।

डीएम द्वारा 14 अगस्त को एक आदेश पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों को भेजा था। 14 तारीख को ही इस आदेश की कॉपी वायरल होने लगी। डीएम ने अपने इस आदेश में लिखा था कि आईजीआरएस पोर्टल पर आने वाली शिकायतों का संबंधित अधिकारी समय से निस्तारण करें। निस्तारण के मामले में पिछड़ने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी। डीएम ने आदेश में आगे कहा कि किसी भी कार्यालय अध्यक्ष के पोर्टल पर कोई डिफाल्टर पाया जाता है तो उस अधिकारी को उसके पटल सहायक सहित संबधित थाना प्रभारी के माध्यम से पुलिस अभिरक्षा में लेकर अधोहस्ताक्षरी यानी डीएम के समक्ष पेश किया जाएगा।

थाना प्रभारियों की तय की थी जिम्मेदारी
डीएम ने अधिकारी को पटल सहायक सहित अभिरक्षा में लेकर उनके सामने पेश करने की जिम्मेदारी थाना प्रभारियों को दी थी। आदेश में कहा गया था कि डीएम के सामने पेश होने के बाद अधिकारी और सहायक को देरी का कारण स्पष्ट करना होगा। आदेश में पुलिस को अंकित करते हुए लिखा है कि सभी थाना प्रभारी सुनिश्चित करें कि कंट्रोल रूम से इस संबंध में सूचना प्राप्त होने के बाद संबंधित अधिकारी और पटल सहायक को पुलिस अभिरक्षा में लेकर अधोहस्ताक्षरी के समक्ष प्रस्तुत करें। 

आदेश में यह भी लिखा गया है कि इसी क्रम में समीक्षा की गई तो कई तथ्य प्रकाश में आए हैं। इस कार्यालय की ओर से दस दिन में डिफाल्टर होने वाले संदर्भों की सूची विधिवत प्रेषित किए जाने और प्रतिदिन इस संदर्भ में फोन पर अनुश्रवण कराने के बावजूद डिफाल्टर होते रहते हैं। इससे पता चलता है कि शासनादेश की व्यवस्थानुसार काम नहीं किया जा रहा है। वेतन रोके जाने के बावजूद कार्य में बदलाव नहीं किया जा रहा ये स्थिति अत्यंत आपत्तिजनक है।

मकसद यह नहीं था, संशोधित होगा आदेश: डीएम
आदेश की जानकारी होने के बाद पत्रकारों ने डीएम उमेश प्रताप सिंह से इस संबंध में बात की। पत्रकारों से डीएम बोले कि ऐसी कोई मंशा नहीं थी उसको करने के पीछे, मोटिव सिर्फ इतना था कि जो अधिकारी हठधर्मिता दिखाते हैं, जो समय से जवाब नहीं भेजते हैं, लेकिन हमें उसी दिन डिफाल्टर करना होता है। ये इसी आशय से किया गया है उसको हम सही कर लेंगे। वो एक एडिशनल आदेश है, कोई ऐसा आदेश नहीं है कि वो सब पर लागू होता है। ये सिर्फ उन लोगों को संदेश देने के लिए और विशेष परिस्थितियों के लिए है। इस आदेश को संशोधित किया जाएगा।

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