स्वतंत्रता और कर्तव्य

Amrit Vichar Network
Published By Om Parkash chaubey
On

देश आज 77 वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। प्रत्येक देशवासी के लिए यह दिवस बहुत महत्वपूर्ण है। यह स्वशासन, संप्रभुता और लोकतंत्र के एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक है। यह हमारे स्वतंत्रता सेनानियों, देश के इतिहास, इसकी संस्कृति और देश की उपलब्धियों का सम्मान करता है। आज देश विश्व में महाशक्ति बनकर उभर रहा है।

हम प्रत्येक क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर भी बढ़े हैं।  विश्व के प्रमुख राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय मामलों में भारत का समर्थन व सहभागिता आवश्यक समझने लगे हैं। वर्तमान में हम विश्व की पांचवी अर्थव्यवस्था से निकलकर तीसरी अर्थव्यवस्था बनने की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। जिसकी वजह से आज विश्व की तमाम दिग्गज कंपनियां भारत में अपना व्यापार स्थापित करने को भी उत्सुक दिख रही हैं।

आजादी के बाद भारत कई क्षेत्रों में सशक्त बना है ,लेकिन अभी भी हमारे सामने चुनौतियां बरकरार हैं। एक ओर हम देश की विपुल संस्कृति और ज्ञान पर गर्व करते हैं, दूसरी तरफ हमारे देश का एक भी विश्वविद्यालय विश्व रैंकिंग में उपस्थिति दर्ज नहीं कर पा रहा है। 
ऐसे तमाम क्षेत्र हैं जिनमें अभी सुधार अपेक्षित हैं। प्रायः सरकारों से देश की उन्नति व समृद्धि के लिए काम करने की आशा की जाती हैं,लेकिन हमें समझना होगा कि जनता की सहभागिता के बिना किसी भी देश या समाज की तरक्की संभव नहीं है।

हम वसुधैव कुटुंबकम्  कि बात करते हैं ,लेकिन अपने ही देश में एकता के साथ नहीं रह पा रहे हैं। आजादी के इतने वर्षों के बाद भी गांवों-कस्बों में अस्पृश्यता, भेदभाव, धार्मिक विद्वेष और जातीय हिंसा की घटनाएं देखी जाती हैं। बाबा साहब ने आगाह किया था कि राजनीतिक स्वतंत्रता तब तक कोरी कल्पना है,जब तक सामाजिक स्वतंत्रता का लक्ष्य हासिल नहीं हो जाता। हमारे नीति नियंताओं और देश की जनता की भी जिम्मेदारी है कि ऐसी नकारात्मक ताकतों से सख्ती के साथ मुकाबला करें।

स्वतंत्रता दिवस जिस माहौल में मना रहे हैं, उसमें ध्यान रखना होगा कि वैचारिक निडरता के बिना लोकतंत्र चल ही नहीं सकता। हमें यह बात ध्यान रखनी होगी कि एकता से ही संपन्नता व समृद्धि की राह निकलती है।

इसके साथ ही हमें देश में प्राप्त अपने अधिकारों के प्रति ही नहीं, देश के प्रति अपने कर्तव्यों को भी समझना होगा। तभी देश की आजादी का जश्न सही मायनों में सार्थक होगा। आज हम यह भी शपथ लें कि लोकतंत्र की मर्यादा हर मंच पर कायम रखेंगे।