लखनऊ : डिप्टी सीएम के निर्देश नहीं मान रहे अधिकार, निरस्त नहीं हुआ पदाधिकारियों का स्थानान्तरण

Amrit Vichar Network
Published By Virendra Pandey
On

लखनऊ, अमृत विचार। प्रदेश के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक की बात उनके ही अधिकारी नहीं मान रहे हैं। आदेश के बाद अभी तक कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों का स्थानान्तरण अभी तक निरस्त नहीं हुआ है। स्थानान्तरण निरस्त न होने से राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने आंदोलन करने की बात कह रहा है।

दरअसल, स्थानांतरण सत्र समाप्त होने के बाद भी राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद और कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा के कई पदाधिकारियों का स्वास्थ्य विभाग में तबादले कर दिये गये। बताया जा रहा है कि यह तबादले बदले की भावना से किये गये हैं। अपर मुख्य सचिव कार्मिक से वार्ता के बाद यह निर्णय हुआ था कि तत्काल कर्मचारियों के पदाधिकारियों का स्थानांतरण निरस्त कर दिया जाएगा। इसके लिए उन्होंने प्रमुख सचिव व महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य को दूरभाष पर निर्देश दे दिए थे, लेकिन लगभग 15 दिन से अधिक बीत जाने के बाद भी अभी तक पदाधिकारियों के स्थानांतरण निरस्त नहीं हुए हैं  जिससे कर्मचारियों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।

कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष वीपी मिश्रा ने नाराजगी व्यक्त की है। उन्होंने कहा है कि स्थानांतरण समाप्त होने के बाद स्वास्थ्य विभाग ,परिवहन विभाग ,बाल विकास पुष्टाहार विभाग ,चिकित्सा शिक्षा के अधिकारियों ने बदले की भावना से अध्यक्ष और मंत्री का स्थानांतरण कर दिया है। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के  महामंत्री अतुल मिश्रा एवं प्रमुख उपाध्यक्ष सुनील यादव ने पदाधिकारियों के स्थानांतरण को नीतिविरुद्ध बताते हुए कहा कि जनपद के अधिकारियों से अर्ध शासकीय पत्र लिखवाकर एक साजिश के तहत परिषद के जनपद मेरठ के अध्यक्ष विपिन त्यागी व मंत्री राजीव का सहारनपुर व बदायूँ ,रायबरेली अध्यक्ष राजेश सिंह का स्थानांतरण अत्यंत दूरस्थ जनपद सोनभद्र, हरदोई अध्यक्ष जेएन तिवारी का बदायूं , बलरामपुर अध्यक्ष एमएम त्रिपाठी का मथुरा , सीतापुर मनोज दीक्षित का शाहजहांपुर किया गया है। यह सभी पदाधिकारी कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा के भी पदाधिकारी हैं, इसके साथ ही श्रावस्ती और शामली के पदाधिकारियों का भी स्थानांतरण किया गया है, कुछ पदाधिकारियों की सेवानिवृत्ति तिथि 2 वर्ष से कम है , स्थानांतरण में स्थानांतरण नीति 23 के पैरा 12 और पैरा 5 का उल्लंघन हुआ है। यह भी संज्ञान में आया है कि कुछ फर्जी  शिकायतो को आधार मानकर बिना किसी जांच के एकतरफा की गई हैं जो नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के विरुद्ध है और निरस्त होने योग्य हैं। परिषद की तरफ से मुख्यमंत्री से पूरे मामले में हस्तक्षेप की मांग की गई है। साथ ही स्थानान्तरण निरस्त करने की अपील की गई है।

यह भी पढ़ें : बस्ती में बोले मंत्री डॉ.संजय निषाद, कहा- जातिगत जनगणना के हम भी पक्षधर

संबंधित समाचार