धौलपुर और सरमथुरा के बीच बिछाई गई रेललाइन अब हो गई अतीत का हिस्सा 

धौलपुर और सरमथुरा के बीच बिछाई गई रेललाइन अब हो गई अतीत का हिस्सा 

भरतपुर। राजस्थान के भरतपुर संभाग में करीब सवा सौ साल पहले धौलपुर और सरमथुरा के बीच नैरोगेज के रुप मे बिछाई गई रेललाइन अब अतीत का हिस्सा बन जाएगी। बहुप्रतीक्षित धौलपुर-सरमथुरा-करौली-गंगापुर रेल परियोजना के तहत नेरोगेज रेलवे ट्रेक को उखाड़ने का काम शुरू कर दिया गया है। 

गौरतलब है कि उत्तर मध्य रेलवे के धौलपुर से बाडी होते हुए बसेडी तथा सरमथुरा तक संचालित होती रही रियासतकालीन नैरोगेज ट्रेन को इसी वर्ष 31 मार्च को उसके आखिरी सफर के बाद 1अप्रेल से बंद किया जा चुका है। पहले स्टीम तथा वर्तमान में डीजल लोकोमोटिव के साथ संचालित करीब सवा सौ साल पुरानी इस ट्रेन का संचालन रियासतकाल में धौलपुर के लाल पत्थर के परिवहन के लिए शुरू हुआ था। नई रेल परियोजना के पूरा होने के बाद धौलपुर समेत समीपवर्ती उत्तर प्रदेश एवं मध्यप्रदेश के श्रद्वालु ट्रेन से कैलादेवी धाम का सफर तय कर सकेंगे। 

रेल सूत्रों का अनुमान है कि इस नई रेल परियोजना के अक्टूबर 2024 तक पूरा होने के साथ ही रेललाइन शुरू हो सकती है। धौलपुर और करौली जिलों को रेल से जोडने वाली करीब 144.60 किलोमीटर लंबाई वाली इस रेल परियोजना पर करीब 2030.50 करोड रुपए की राशि खर्च होने का अनुमान है। परियोजना के पहले चरण में धौलपुर और सरमथुरा के बीच में नैरोगेज का ब्राडगेज में आमान परिवर्तन कर बडी रेललाइन बिछाई जाएगी। जबकि दूसरे चरण में सरमथुरा से करौली होते हुए पश्चिम रेलवे के गंगापुर तक नई बडी रेल लाईन बिछाई जानी है। 

बताया गया है कि करीब चौदह साल पहले धौलपुर जिले के सरमथुरा कस्बे में तत्कालीन रेल राज्य मंत्री जय सूर्यप्रकाश रेड्डी एवं उस समय राजस्थान में कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री के रुप मे अशोक गहलोत ने धौलपुर-सरमथुरा-करौली-गंगापुर रेल परियोजना का शिलान्यास किया था। इस रेल परियोजना के अमलीजामा पहनने के बाद में पूर्वी राजस्थान के धौलपुर और करौली जिले के डांग क्षेत्र को जयपुर समेत अन्य शहरों का सीधा एवं सुविधाजनक रेल संपर्क मिल सकेगा। 

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