सीतापुर: किसी काम के नहीं मेटिरियल रिकवरी फेसिलिटी सेंटर, शहर के खाली प्लाटों में लगे कूड़े के ढेर

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Published By Deepak Mishra
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सीतापुर। करोड़ों रुपए की लागत से कूड़ा निस्तारण के लिए नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों में बनाए गए मेटेरियल रिकवरी फेसिलिटी सेंटर  किसी काम के नहीं हैं। ऐसे में कचरा निस्तारण की कवायद नाकाफी साबित हो रही है। आलम यह है कि शहर के खाली पड़े प्लाटों में कूड़े के ढेर लगे हैं जिनपर मक्खियां भिनभिना रही है।

आधा दर्जन के करीब जिले मेटेरियल रिकवरी फेसिलिटी सेंटर बने हैं।इन सेंटरों में शहर से एकत्र कूड़े से अलग किया गया प्लास्टिक पालीथीन लोहा कपड़े जूते चप्पल सहित अन्य प्रकार का ऐसा मेटेरियल अलग कर उसका निस्तारण किया जाना था। जिससे नगर पालिकाओं के साथ नगर पंचायतों की आमदनी बढ़ाने की योजना शामिल हैं। परंतु अभी तक सूखे और गीले कचरे को अलग कर पालिकाओं की आमदनी बढ़ाने का सपना अधूरा है। बावजूद इसके विभागीय अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहें हैं।

48 लाख रुपए की लागत से नैमिष में बने फेसिलिटी सेंटर का उपयोग नहीं: पौराणिक और पर्यटन नगरी तीर्थ नैमिषारण्य को स्वच्छ और सुंदर बनाने के लिए नगर पालिका द्वारा मेटेरियल रिकवरी फेसिलिटी सेंटर बनाया गया। स्वच्छता के नाम पर अडतालीस लाख रुपए खर्च कर दिए गए।इस फेसिलिटी सेंटर में मात्र एक कमरा और और टीन सेड पड़ा है। पूरे परिसर में बड़ी बड़ी घास उग आई है जिसका कोई पुरसाहाल नहीं है।

तीर्थ स्थल से करीब पांच किलोमीटर की दूरी पर बने कूड़ा निस्तारण सेंटर के जाने के लिए कोई रास्ता नहीं है। खेतों में बने सेंटर को कोई भी आसानी से ढूंढ भी नहीं सकता है। चारों ओर से फसलों से ढके हुए मेटेरियल रिकवरी सेंटर का कोई उपयोग नहीं हो पा रहा है। जिसके चलते सफाई कर्मीयों द्वारा तीर्थ से निकले वाला कचरा इधर उधर फेंक दिया जाता है।

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