हल्द्वानी: सावधान …बारिश में रोजाना 1 व्यक्ति हो रहा सर्पदंश का शिकार

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Published By Bhupesh Kanaujia
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हल्द्वानी, अमृत विचार।  मानसून सीजन में सर्पदंश के मामले काफी बढ़ गए हैं। हर दिन सर्पदंश का एक व्यक्ति इलाज के लिए सुशीला तिवारी अस्पताल पहुंच रहा है। इससे अस्पताल में एंटीवेनम इंजेक्शन की खपत बढ़ गई है।

 बरसात के मौसम में अकसर सांप के काटने की घटनाएं बढ़ जाती हैं। कारण, बिलों में पानी भरने से सांप बाहर निकल आते हैं। ऐसे में ज्यादातर खेतों में काम करने वाले लोग सांपों का शिकार बनते हैं।

सुशीला तिवारी अस्पताल में 1 जुलाई से अब तक करीब 30 से ज्यादा सर्पदंश के शिकार लोग इलाज के लिए आ चुके हैं। इनमें कुछ मरीजों को हालत गंभीर होने पर वेंटिलेटर पर रखा गया, जबकि कुछ को डायलिसिस की जरूरत पड़ी। समय से अस्पताल पहुंचने वाले कई मरीज ठीक होकर घर लौट गये हैं। जबकि कुछ का इलाज चल रहा है।
 

अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. परमजीत सिंह ने बताया कि सर्पदंश के शिकार मरीज को बचाने के लिए पर्याप्त मात्रा में एंटी वेनम इंजेक्शन हैं। मरीजों को रखने के लिए वेंटिलेटर, आईसीयू और डायलिसिस भी उपलब्ध है। 

यहां से आ रहे सबसे ज्यादा मरीज 
एसटीएच में सर्पदंश के ज्यादातर मरीज हल्द्वानी के दोनहरिया, गन्ना सेंटर, डहरिया, गौलापार, हल्दूचौड़, लालकुआं, बिंदुखत्ता, पंतनगर, कालाढूंगी, सितारगंज, नानकमत्ता, बेतालघाट, अमृतपुर से आ रहे हैं। वहीं पर्वतीय क्षेत्रों से भी सर्पदंश के मरीज इलाज के लिए यहां पहुंच रहे हैं। 

1,000 एंटी वेनम इंजेक्शन की भेजी डिमांड 
सर्पदंश के बढ़ रहे मामलों को देखते हुए एसटीएच प्रबंधन ने शासन को 1 हजार एंटी वेनम इंजेक्शन की डिमांड भेजी है। सांप के काटने के बाद एक व्यक्ति को अधिकतम 20 इंजेक्शन तक लगते हैं। जल्द ही इंजेक्शन मिलने की उम्मीद है। 


सांप के काटने के बाद लक्षण के आधार पर मरीज को दवा दी जाती है। कभी-कभी 1-2 घंटे बाद भी लक्षण नहीं आते हैं। लोगों से अपील है कि सांप के काटने पर झाड फूंक के चक्कर में न पड़ें, सीधे डॉक्टर के पास जाएं। 
- डॉ. परमजीत सिंह, वरिष्ठ फिजिशियन, एसटीएच

 सर्पदंश पर यह नहीं करना चाहिए

 जहां सांप काटे वहां चीरा नहीं लगाना है।
सांप के काटने के बाद डोरी नहीं बाधनी है।
पीड़ित व्यक्ति को अस्पताल लाने तक सोने नहीं देना है।
 कोबरा सांप ने काटा है तो एक घंटे में अस्पताल ले जाएं। 
 मरीज को घबराहट न होने दें, चलाएं-फिराएं भी नहीं।

इन सांपों का है आतंक
कोबरा
कोबरा सांप के काटने पर कुछ मिनट में लक्षण आने लगे हैं। पीड़ित पलकें बंद नहीं कर पाता है। सांस लेने में दिक्कत होती है। समय पर इलाज ही व्यक्ति को बचा सकता है। 

करैत
करैत सांप रात में काटता है। इसके काटने को आमतौर पर साइलेंट बाइट बोलते हैं। कोबरा सांप के काटने के बाद मार्क्स मिलते हैं, लेकिन करैत के मार्क्स नहीं मिलते। बरसात में इसके ज्यादातर मामले मिलते हैं।

वाइपर
वाइपर सांप व्यक्ति के नरवस सिस्टम पर इफेक्ट नहीं करता। जहां पर काटता है वहां सूजन और खून निकलता है। इसके काटे से गुर्दे पर असर होता है। खून न जमने से व्यक्ति को डायलिसिस तक करानी पड़ती है।

रसल वाइपर
रसल वाइपर, वाइपर से ज्यादा खतरनाक होता है। इसमें हीमोटॉक्सिक जहर पाया जाता है। जो इंसान के शरीर में मिलते ही रक्त को थक्का बना देता है। अमूमन इस सांप का जहर दस मिनट के अंदर असर करने लगता है।

हिमालयन पिट वाइपर
हिमालयन पिट वाइपर दुर्लभ प्रजाति का सांप है। इसके काटने के भी मामले आते हैं। इसके काटने पर वेनम डोज काम नहीं करती है। सपोर्टिंग ट्रीटमेंट से इलाज करना पड़ता है।

 

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