स्वास्थ्य सहायता योजनाएं देश के हर व्यक्ति की जरूरत : प्रो.राजेश हर्षवर्धन
लखनऊ, अमृत विचार । स्वास्थ्य सहायता योजनाएं देश के हर व्यक्ति के लिए जरूरी है। अगर कोविड काल ने हमें कुछ सिखाया है, तो वह है हर समय खुद को सुरक्षित रखना। केंद्र और राज्य सरकारों दोनों द्वारा दी जाने वाली वित्तीय सहायता योजनाएं पूरे भारत में लाखों नागरिकों के जीवन को ऊपर उठाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य विभिन्न सामाजिक आर्थिक चुनौतियों का समाधान करना और एक अधिक समावेशी और समृद्ध समाज बनाना है।
लक्षित समर्थन के माध्यम से, वे व्यक्तियों को सशक्त बनाते हैं, उद्यमिता को बढ़ावा देते हैं, शिक्षा में सुधार करते हैं, और राष्ट्र की समग्र भलाई को बढ़ाते हैं। यह कहना है एसजीपीजीआईएमएस स्थित अस्पताल प्रशासन के विभागाध्यक्ष प्रो. राजेश हर्षवर्धन का। वह शनिवार को अस्पताल प्रशासन विभाग की तरफ से आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। यह संगोष्ठी एसजीपीजीआईएमएस में सभी केंद्रीय और राज्य सरकार की वित्तीय सहायता योजनाओं पर आयोजित की गई थी।
उन्होंने बताया कि सरकारी वित्तीय सहायता हमारे स्वास्थ्य की बात आने पर किसी भी आपातकालीन या अप्रत्याशित खर्चों के खिलाफ हमारे भविष्य की रक्षा करने का सबसे अच्छा तरीका है। हालांकि, एक और कठोर वास्तविकता है, जो इस बात की जानकारी की कमी है कि कोई स्वयं इन सहायता योजनाओं का लाभ कैसे उठा सकता है और लाभार्थी बन सकता है। यूनिवर्सल स्वास्थ्य कवरेज प्राप्त करने के लिए वित्तीय सहायता योजनाएं अपरिहार्य हैं। उन लोगों को वित्तीय सहायता प्रदान करके जो स्वास्थ्य सेवाओं का खर्च नहीं उठा सकते हैं, यह योजनाएं सभी के लिए आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं तक समान पहुंच सुनिश्चित करती हैं।
यह वित्तीय बाधाओं को कम करने, निवारक देखभाल को बढ़ावा देने और कमजोर आबादी को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जैसा कि हम स्वस्थ और अधिक लचीला समाज बनाने का प्रयास करते हैं, वित्तीय सहायता योजनाएं यह सुनिश्चित करने में एक महत्वपूर्ण उपकरण बनी हुई हैं कि स्वास्थ्य सेवा भाग्यशाली लोगों के लिए विशेषाधिकार न हो अपितु एक सार्वभौमिक अधिकार बन जाए।
इस एक दिवसीय संगोष्ठी के सत्रों को केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा पेश की जाने वाली वित्तीय सहायता योजनाओं के बारे में जागरूकता और समझ पैदा करने के लिए तैयार किया गया था। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य सभी संकायों, डॉक्टरों, रेजिडेंट, स्टाफ नर्स और विभिन्न वित्तीय योजनाओं के कर्मचारियों, हितधारकों के लिए सभी केंद्रीय और राज्य सरकार की सहायता प्राप्त वित्तीय योजनाओं के ज्ञान और व्यावहारिक अनुप्रयोग को बढ़ाना था, जो दैनिक आधार पर इन योजनाओं के तहत ऐसे आधिकारिक दायित्वों से निपट रहे हैं।
इस अवसर पर एसजीपीजीआई के निदेशक प्रो. आरके धीमन ने वित्तीय सहायता योजना को गरीब मरीजों के लिए वरदान बताया है। वहीं एसजीपीजीआई के सीएमएस डां. संजय धीरज ने वित्तीय लेनदेन के पारदर्शी रिकॉर्ड बनाए रखने के बारे में संगोष्ठी में आये लोगों को जानकारी दी।
डॉ. आर. के. धीमन, निदेशक, एसजीपीजीआईएमएस ने सभा को संबोधित किया और वित्तीय सहायता योजना गरीब रोगियों के लिए वरदान के बारे में बताया और चिकित्सा खर्चों के कारण गरीबी के चक्र को तोड़ने की आवश्यकता को बनाए रखने के लिए सभा को प्रबुद्ध किया ।
संगोष्ठी में डॉ. रविकांत सिंह, नीतू सिंह, मनीषा त्रिपाठी, प्रियंका पाठक और सिद्धांत मिश्रा द्वारा शुरू किए गए वैज्ञानिक सत्र में आयुष्मान भारत- पीएमजेएवाई के तहत टीएमएस पोर्टल पर हाल की प्रगति और अपडेशन पर विचार-विमर्श किया गया।
कार्यक्रम को डॉ. इंदु श्री, नोडल अधिकारी, पीडीडीयू आरसीसी, डीओएमई, उत्तर प्रदेश सरकार ने पंडित दीन दयाल उपाध्याय राज्य कर्मचारी कैशलेस चिकित्सा योजना (पीडीडीयू आरसीसी) की मुख्य विशेषताओं और पात्रता के बारे में बताया।
डॉ. वी. के. पालीवाल, एमएस, एसजीपीजीआईएमएस ने आध्या रोग निधि योजना के बारे में विचार-विमर्श किया जिसके उपरांत एसजीपीजीआईएमएस के अस्पताल लेखा अधिकारी संजय दुआ ने पीएम राष्ट्रीय राहत कोष, मुख्यमंत्री राहत कोष की जानकारी दी। डॉ. मनोज जैन, आई सी कामधेनु योजना ने आगे कामधेनु अति निर्माण चिकित्सा सहायता सोसायटी और बीपीएल, अंत्योदय निधि के बारे में जानकारी दी।
इस अवसर पर जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज, कानपुर, स्वायत्त राज्य मेडिकल कॉलेज, शाहजहांपुर और फिरोजाबाद, लाला लाजपत राय मेमोरियल मेडिकल कॉलेज जैसे राज्य भर के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों के 100 से अधिक प्रतिनिधि मौजूद रहे।
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