पीलीभीत: गोपनीय जांच में ही मिल गई लेखपाल के भ्रष्ट होने की जानकारी, निलंबित

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Published By Shobhit Singh
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पीलीभीत/माधोटांडा, अमृत विचार। एक दिन पूर्व रिश्वत लेते रंगे हाथ धरे गए लेखपाल की मुसीबत और बढ़ गई। एफआईआर दर्ज कराने के बाद एंटी करप्शन टीम उसे अपने साथ बरेली ले गई और कोर्ट में पेश करके जेल भेज दिया। इधर, आरोपी लेखपाल पर विभागीय कार्रवाई करते हुए निलंबित कर दिया गया है। 

पूरनपुर क्षेत्र के गांव कुरईया निवासी बकसीस सिंह की ओर से मिली शिकायत पर कार्रवाई करते हुए एंटी करप्शन टीम बरेली से शुक्रवार को पीलीभीत आई थी। बताते हैं कि किसान ने खेत में तूंदाबंदी कराने के लिए 2017 में पूरनपुर तहसील में प्रार्थना पत्र दिया। इसके बाद काफी समय बीत गया, मगर प्रार्थना पत्र पर सुनवाई नहीं हुई। परेशान होकर क्षेत्रीय लेखपाल सुनील कुमार से संपर्क किया। 

आरोप है कि लेखपाल सुनील कुमार ने खेत में तूंदाबंदी कराने के बदले 20 हजार रुपये का सुविधा शुल्क मांगा। नहीं देने पर तूंदाबंदी कराने से मना कर दिया था। परेशान होकर किसान ने लखनऊ में भ्रष्टाचार निवारण संगठन से संपर्क किया था। जिसके बाद ही बरेली से टीम आई और लेखपाल को रिश्वत लेते धर लिया था। 

भ्रष्टाचार निवारण संगठन बरेली के इंस्पेक्टर प्रवीण सान्याल ने लेखपाल सुनील कुमार के खिलाफ धारा 7 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत रिपोर्ट दर्ज कराई और फिर अन्य औपचारिकताएं पूरी कर टीम लेखपाल को बरेली ले गई। उसे जेल भेज दिया है। बताते हैं कि विभागीय अधिकारियों ने भी मामले को गंभीरता से लेकर निलंबन की कार्रवाई कर दी है।

बता दें कि जब किसान से लेखपाल की शिकायत मिली थी। इसके बाद भ्रष्टाचार निवारण संगठन बरेली की टीम ने गोपनीय स्तर से पहले जांच की थी। जिसमें न सिर्फ आरोप सही पाए गए बल्कि लेखपाल सुनील कुमार की छवि भ्रष्ट प्रवृत्ति के लोक सेवक के रूप में पाई गई थी। ये रिपोर्ट 19 जुलाई को ही मिल गई थी। 

इसके बाद शुक्रवार को टीम आई और किसान से संपर्क साध लिया था। एक ढाबे पर पूरी रूपरेखा तैयार की। शिकायतकर्ता को रिश्वत में दिए जाने वाले रुपये फिनाफ्थलीन पाउडर लगाकर कागज में रखकर दे दिए गए थे। लेखपाल के पकड़े जाने के बाद इन नोटों की जांच भी कराई गई थी।

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