प्रयागराज : बकाया चुकाने के मामले में जेपी को नहीं मिली राहत

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Published By Pradumn Upadhyay
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अमृत विचार, प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मेसर्स जयप्रकाश एसोसिएट्स (जेपी) द्वारा बकाया चुकाने के लिए यमुना एक्सप्रेसवे विकास क्षेत्र में विशेष विकास क्षेत्र परियोजना के तहत यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण को आवंटित 1000 हेक्टेयर भूमि के कुछ हिस्से को बेचने का प्रस्ताव नामंजूर कर दिया। मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर और  न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह की खंडपीठ ने आवंटन रद्द करने को लेकर जेपी द्वारा दाखिल चुनौती याचिका पर विचार करते हुए कहा कि आवंटन पहले ही रद्द हो चुका है, इसलिए ऐसी बिक्री की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

दरअसल जेपी ने आवंटित भूमि पर पट्टे के किराए, प्रीमियम और ब्याज के भुगतान में हेरफेर किया, इसलिए वर्ष 2019 में येडा द्वारा पूरे 1000 हेक्टेयर के लिए पट्टा विलेख रद्द कर दिया गया। याची की ओर से तर्क दिया गया कि करोड़ों का भुगतान पहले ही किया जा चुका है। केवल कुछ धनराशि ही बकाया शेष है, चूंकि भूमि पर पर्याप्त विकास किया गया है, इसलिए संपूर्ण लीज डीड रद्द करना मनमाना और औचित्यहीन है। अंत में सभी तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए कोर्ट ने कहा कि दावा की गई राहत अंतिम सुनवाई के चरण में दी जा सकती है।

यही कारण है कि कोर्ट ने याची को येडा के साथ बातचीत करने की अनुमति दी थी, जिससे मामले के निपटान की शर्तों पर सहमति आदेश प्राप्त हो सके, लेकिन निपटान विफल होने के कारण कोर्ट इस स्तर पर हस्तक्षेप करने और अंतिम राहत की प्रकृति में अंतरिम आदेश पारित करने की स्थिति में नहीं है। इसके अलावा कोर्ट ने यह भी कहा कि प्रोजेक्ट के पूरा होने के संबंध में घर खरीदारों की चिंताओं को वर्तमान याचिका में इस स्तर पर निपटाया नहीं जा सकता है, क्योंकि यह केवल येडा द्वारा पट्टा कार्यों को रद्द करने की वैधता से संबंधित है।

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