प्रयागराज : निरस्त कानून के आधार पर खारिज अग्रिम जमानत के आरोपियों को मिली अंतरिम राहत

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Published By Virendra Pandey
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प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दो आरोपियों की दूसरी अग्रिम जमानत पर विचार करते हुए अगली सुनवाई तक उन्हें गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा दे दी है। इसके अलावा न्यायालय ने राज्य सरकार को कानून की स्पष्ट स्थिति के साथ-साथ अदालत के अनुत्तरित प्रश्नों से संबंधित तथ्यों को अदालत के समक्ष रखने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही 3 सप्ताह के भीतर एक जवाबी हलफनामा दाखिल करने का भी आदेश दिया है और उसके बाद एक सप्ताह के भीतर प्रत्युत्तर हलफनामा दाखिल करने का समय दिया गया है।

इस बीच याची मामले में कथित रूप से शामिल अन्य वाहनों के संबंध में कागज दाखिल कर सकते हैं। उक्त आदेश न्यायमूर्ति ज्योत्सना शर्मा की एकलपीठ ने गुलाम मुस्तफा खान तथा अन्य की याचिका पर सुनवाई करने के दौरान पारित किया। मालूम हो कि गुलाम मुस्तफा खान और एजाज अहमद की पहली अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करने का मुख्य कारण कानून की गलती थी। आरोपियों पर आवश्यक वस्तु अधिनियम की धारा 3/7 और आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत पुलिस स्टेशन चंदौली में मामला दर्ज किया गया था। उनकी पहली जमानत याचिका 2 मार्च 2023 को पेट्रोलियम नियम, 1976 के आधार पर खारिज कर दी गई थी। इसके बाद आरोपियों ने दूसरी अग्रिम जमानत याचिका इस आधार पर दाखिल की कि पेट्रोलियम नियम, 2002 13 मार्च 2002 को लागू हो चुका है। अतः राज्य द्वारा नये कानून के आधार पर उनकी दूसरी अग्रिम जमानत पर पुनर्विचार किया जा सकता है। इसके अलावा आरोपियों ने यह भी तर्क दिया कि पेट्रोलियम वर्ग ए और वर्ग बी के थोक में परिवहन करने का लाइसेंस उनके पक्ष में जारी/ नवीनीकृत किया गया था, जो उनके जब्त वाहन के संबंध में 25 अप्रैल 2025 तक वैध है। आगे यह भी बताया गया कि उनका वाहन 22 किलोलीटर डीजल ले जाने के लिए अधिकृत था। अंत में यह तर्क दिया गया कि राज्य आवश्यक वस्तु अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत उनके खिलाफ कोई भी सबूत नहीं दे पाया है और यह राज्य का स्पष्ट रूप से कार्य है कि वह अपराध में उनकी भूमिका स्पष्ट करे। दूसरी ओर अपर शासकीय अधिवक्ता ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि भले ही नए नियम लागू हो गए हों, लेकिन याची कई अन्य कारणों से अग्रिम जमानत पाने के हकदार नहीं है, हांलाकि कोर्ट ने याचियों को आगामी सुनवाई यानी 11 अगस्त 2023 तक अंतरिम सुरक्षा देना उचित माना है।

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